"भीमराव आम्बेडकर": अवतरणों में अंतर
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[[भारत सरकार अधिनियम, १९१९|भारत सरकार अधिनियम १९१९]], तैयार कर रही साउथबरो समिति के समक्ष, भारत के एक प्रमुख विद्वान के तौर पर आम्बेडकर को साक्ष्य देने के लिये आमंत्रित किया गया। इस सुनवाई के दौरान, आम्बेडकर ने दलितों और अन्य धार्मिक समुदायों के लिये पृथक निर्वाचिका और [[आरक्षण]] देने की वकालत की।<ref name=Tejani>{{cite book|last=Tejani|first=Shabnum|title=Indian secularism : a social and intellectual history, 1890-1950|year=2008|publisher=Indiana University Press|location=Bloomington, Ind.|isbn=0253220440|pages=205–210|url=https://books.google.com/books?id=6xtrPKa59j4C&pg=PA205&dq=%22ambedkar%22+%22+Southborough+Committee%22&hl=en&sa=X&ei=UN7mUa2EF8z7rAe_wICABA&ved=0CC8Q6AEwAA#v=onepage&q=%22ambedkar%22%20%22%20Southborough%20Committee%22&f=false|accessdate=17 July 2013|chapter=From Untouchable to Hindu Gandhi, Ambedkar and Depressed class question 1932}}</ref> [[१९२०]] में, बंबई से, उन्होंने साप्ताहिक ''मूकनायक'' के प्रकाशन की शुरूआत की। यह प्रकाशन शीघ्र ही पाठकों मे लोकप्रिय हो गया, तब आम्बेडकर ने इसका प्रयोग रूढ़िवादी हिंदू राजनेताओं व जातीय भेदभाव से लड़ने के प्रति भारतीय राजनैतिक समुदाय की अनिच्छा की आलोचना करने के लिये किया। उनके दलित वर्ग के एक सम्मेलन के दौरान दिये गये भाषण ने कोल्हापुर राज्य के स्थानीय शासक शाहू चतुर्थ को बहुत प्रभावित किया, जिनका आम्बेडकर के साथ भोजन करना रूढ़िवादी समाज मे हलचल मचा गया।<ref name="Jaffrelot">{{cite book |last1=Jaffrelot |first1=Christophe |title=Dr Ambedkar and Untouchability: Analysing and Fighting Caste |year=2005 |publisher=C. Hurst & Co. Publishers |location=London |isbn=1850654492 |page=4 }}</ref>
आम्बेडकर एक कानूनी व्यावसायी के रूप में काम जारी रखा। 1926 में, उन्होंने सफलतापूर्वक तीन गैर-ब्राह्मण नेताओं का बचाव किया जिन्होंने [[ब्राह्मण]] समुदाय पर भारत को बर्बाद करने का आरोप लगाया था और बाद में उनपर अपमान के लिए मुकदमा चलाया गया था। [[धनंजय कीर]] के अनुसार "डॉक्टर साहब एवं मुद्दई, दोनों की ही सामाजिक और व्यक्तिगत रूप से जीत बढ़ती जा रही थी।<ref>https://books.google.co.in/books?id=B-2d6jzRmBQC&pg=PA64&lpg=PA64&dq=The+victory+was+resounding,+both+socially+and+individually,+for+the+clients+and+the+Doctor.%22&source=bl&ots=x0ADO6j2Z_&sig=Vkz0UuGhJS3RUaYqwsP94XHGQj0&hl=en&sa=X&ved=2ahUKEwiv_7HX_svdAhUVWysKHa2FBpUQ6AEwAHoECAUQAQ#v=onepage&q=The%20victory%20was%20resounding%2C%20both%20socially%20and%20individually%2C%20for%20the%20clients%20and%20the%20Doctor.%22&f=false</ref>
बॉम्बे हाईकोर्ट में विधि का अभ्यास करते हुए, उन्होंने अछूतों की शिक्षा को बढ़ावा देने और उन्हें ऊपर उठाने के प्रयास किये। उनका पहला संगठित प्रयास केंद्रीय संस्थान [[बहिष्कृत हितकारिणी सभा]] की स्थापना था, जिसका उद्देश्य शिक्षा और सामाजिक-आर्थिक सुधार को बढ़ावा देने के साथ ही अवसादग्रस्त वर्गों के रूप में संदर्भित "बहिष्कार" के कल्याण करना था।<ref>{{cite web |url=http://www.ncdhr.org.in/ncdhr/general-info-misc-pages/dr-ambedkar |title=Dr. Ambedkar |accessdate=12 January 2012 |publisher=National Campaign on Dalit Human Rights |deadurl=no |archiveurl=https://web.archive.org/web/20121008195805/http://www.ncdhr.org.in/ncdhr/general-info-misc-pages/dr-ambedkar |archivedate=8 October 2012 |df=dmy-all }}</ref> दलित अधिकारों की रक्षा के लिए, उन्होंने मूकनायक, बहिष्कृत भारत, समता, प्रबुद्ध भारत और जनता जैसी पांच पत्रिकाएं निकालीं।<ref>{{cite journal|last=Benjamin|first=Joseph|title=B. R. Ambedkar: An Indefatigable Defender of Human Rights|journal=Focus|date=June 2009|volume=56|publisher=Asia-Pacific Human Rights Information Center (HURIGHTS OSAKA)|location=Japan}}</ref>
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