"भीमराव आम्बेडकर": अवतरणों में अंतर

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==पूना पैक्ट==
{{मुख्य|पुणे समझौता|गोलमेज सम्मेलन (भारत)}}
[[चित्र:Gandhi inat Londonthe meeting,Round Table 1931Conference.jpg|thumb|right|300px|दूसरा गोलमेज सम्मेलन, १९३१; जिसमें आंबेडकर (दाये से पहले), गांधी, मालवीय व आदी लोग शामील थे]]
अब तक भीमराव आम्बेडकर आज तक की सबसे बडी़ अछूत राजनीतिक हस्ती बन चुके थे। उन्होंने मुख्यधारा के महत्वपूर्ण राजनीतिक दलों की जाति व्यवस्था के उन्मूलन के प्रति उनकी कथित उदासीनता की कटु आलोचना की। आम्बेडकर ने [[भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस]] और उसके नेता [[महात्मा गांधी]] की भी आलोचना की, उन्होंने उन पर अछूत समुदाय को एक करुणा की वस्तु के रूप मे प्रस्तुत करने का आरोप लगाया। आम्बेडकर ब्रिटिश शासन की विफलताओं से भी असंतुष्ट थे, उन्होंने अछूत समुदाय के लिये एक ऐसी अलग राजनीतिक पहचान की वकालत की जिसमे कांग्रेस और ब्रिटिश दोनों की ही कोई दखल ना हो। लंदन में [[8 अगस्त]], [[1930]] को एक शोषित वर्ग के सम्मेलन यानी प्रथम [[गोलमेज सम्मेलन (भारत)|गोलमेज सम्मेलन]] के दौरान आम्बेडकर ने अपनी राजनीतिक दृष्टि को दुनिया के सामने रखा, जिसके अनुसार शोषित वर्ग की सुरक्षा उसके सरकार और कांग्रेस दोनों से स्वतंत्र होने में है।<ref name="Columbia"/>