"भीमराव आम्बेडकर": अवतरणों में अंतर
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[[1936]] में, आम्बेडकर ने [[स्वतंत्र लेबर पार्टी]] की स्थापना की, जो [[1937]] में केन्द्रीय विधान सभा चुनावों मे 13 सीटें जीती।<ref>{{cite book |last1=Jaffrelot |first1=Christophe |title=Dr Ambedkar and Untouchability: Analysing and Fighting Caste |year=2005 |publisher=C. Hurst & Co. Publishers |location=London |isbn=1850654492 |pages=76–77 }}</ref>
इसी वर्ष आम्बेडकर ने 15 मई 1936 को अपनी पुस्तक '[[एनीहिलेशन ऑफ कास्ट]]' (''[[जाति प्रथा का विनाश]]'') प्रकाशित की, जो उनके [[न्यूयॉर्क]] में लिखे एक शोधपत्र पर आधारित थी।<ref>{{cite web|url=http://scroll.in/article/727548/may-15-it-was-79-years-ago-today-that-ambedkars-annihilation-of-caste-was-published|title=May 15: It was 79 years ago today that Ambedkar's 'Annihilation Of Caste' was published|deadurl=no|archiveurl=https://web.archive.org/web/20160529175303/http://scroll.in/article/727548/may-15-it-was-79-years-ago-today-that-ambedkars-annihilation-of-caste-was-published|archivedate=29 May 2016|df=dmy-all}}</ref> इस पुस्तक में आम्बेडकर ने हिंदू धार्मिक नेताओं और जाति व्यवस्था की जोरदार आलोचना की।<ref name=Mungekar>{{cite journal|last=Mungekar|first=Bhalchandra|title=Annihilating caste|journal=Frontline|date=16–29 July 2011|volume=28|issue=11|url=http://www.frontline.in/navigation/?type=static&page=flonnet&rdurl=fl2815/stories/20110729281509500.htm|accessdate=18 July 2013|deadurl=no|archiveurl=https://web.archive.org/web/20131101224527/http://www.frontline.in/navigation/?type=static&page=flonnet&rdurl=fl2815%2Fstories%2F20110729281509500.htm|archivedate=1 November 2013|df=dmy-all}}</ref> उन्होंने अछूत समुदाय के लोगों को गाँधी द्वारा रचित शब्द ''[[हरिजन]]'' पुकारने के कांग्रेस के फैसले की कडी निंदा की।<ref name=NYT01>[[Siddhartha Deb|Deb, Siddhartha]], [https://www.nytimes.com/2014/03/09/magazine/arundhati-roy-the-not-so-reluctant-renegade.html?hp "Arundhati Roy, the Not-So-Reluctant Renegade"] {{webarchive|url=https://web.archive.org/web/20170706154739/https://www.nytimes.com/2014/03/09/magazine/arundhati-roy-the-not-so-reluctant-renegade.html?hp |date=6 July 2017 }}, New York Times ''Magazine'', 5 March 2014. Retrieved 5 March 2014.</ref><ref name="Columbia5"/> बाद में, 1955 के बीबीसी साक्षात्कार में, उन्होंने [[महात्मा गांधी|गांधी]] पर उनके [[गुजराती भाषा]] के पत्रों में जाति व्यवस्था का समर्थन करना तथा [[अंग्रेजी भाषा]] पत्रों में जाति व्यवस्था का विरोध करने का आरोप लगाया।<ref name="auto2">{{Cite web|url=https://www.bbc.com/hindi/india-46471954|title=गांधी को क्या वाक़ई ग़लत आंकते थे आंबेडकर?|first=उर्विश|last=कोठारी|date=7 दिस॰ 2018|via=www.bbc.com}}</ref><ref>{{cite web|url=http://scroll.in/article/813771/a-for-ambedkar-as-gujarats-freedom-march-nears-tryst-an-assertive-dalit-culture-spreads|title=A for Ambedkar: As Gujarat’s freedom march nears tryst, an assertive Dalit culture spreads|deadurl=no|archiveurl=https://web.archive.org/web/20160916194115/http://scroll.in/article/813771/a-for-ambedkar-as-gujarats-freedom-march-nears-tryst-an-assertive-dalit-culture-spreads|archivedate=16 September 2016|df=dmy-all}}</ref>
आम्बेडकर ने रक्षा सलाहकार समिति<ref name=autogenerated2 /> और वाइसराय की कार्यकारी परिषद के लिए सन 1942–1946 दौरान श्रम मंत्री के रूप में सेवारत रहे।<ref name=autogenerated2>{{cite book |last1=Jaffrelot |first1=Christophe |title=Dr Ambedkar and Untouchability: Analysing and Fighting Caste |year=2005 |publisher=C. Hurst & Co. Publishers |location=London |isbn=1850654492 |page=5 }}</ref>
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{{मुख्य|आंबेडकरवाद}}
"[[आम्बेडकरवाद]]" आम्बेडकर की विचारधारा तथा दर्शन हैं। स्वतंत्रता, समानता, भाईचारा, बौद्ध धर्म, विज्ञानवाद, मानवतावाद, सत्य, अहिंसा आदि के विषय आम्बेडकरवाद के सिद्धान्त हैं। छुआछूत को नष्ट करना, दलितों में सामाजिक सुधार, भारत में बौद्ध धर्म का प्रचार एवं प्रचार, भारतीय संविधान में निहीत अधिकारों तथा मौलिक हकों की रक्षा करना, एक नैतिक तथा जातिमुक्त समाज की रचना और भारत देश प्रगती यह प्रमुख उद्देश शामील हैं। आम्बेडकरवाद सामाजिक, राजनितीक तथा धार्मिक विचारधारा हैं।<ref>{{Cite web|url=https://thewire.in/116168/bjp-up-fears-elections/|title=The BJP Has Swept UP But It Does Not Know the Way Ahead From Here|last=Tripathi|first=Arun Kumar|website=thewire.in|language=en-GB|access-date=31 मार्च 2017}}</ref><ref>{{Cite news|url=http://www.thenewsminute.com/article/kcrs-125-feet-ambedkar-statue-mockery-very-spirit-ambedkrism-41663|title=KCR’s 125-feet Ambedkar statue is a mockery of the very spirit of Ambedkarism|date=15 अप्रैल 2016|work=The News Minute|access-date=31 मार्च 2017}}</ref><ref>{{Cite news|url=http://www.thenewsminute.com/article/kabali-boring-its-socio-political-depths-make-it-blockbuster-wasnt-46965|title=Kabali is boring, but its socio-political depths make it a blockbuster that wasn’t|date=23 जुलाई 2016|work=The News Minute|access-date=31 मार्च 2017}}</ref><ref>
==पुस्तकें व अन्य रचनाएँ==
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भीमराव आम्बेडकर प्रतिभाशाली एवं जुंझारू लेखक थे। आम्बेडकर को पढने में बहोत रूची थी तथा वे लेखन में भी रूची रखते थे। इसके चलते उन्होंने मुंबई के अपने घर [[राजगृह]] में ही एक समृद्ध ग्रंथालय का निर्माण किया था, जिसमें उनकी 50 हजार से भी अधिक किताबें थी। अपने लेखन द्वारा उन्होंने दलितों व देश की समस्याओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने लिखे हुए महत्वपूर्ण ग्रंथो में, अनहिलेशन ऑफ कास्ट, द बुद्ध अँड हिज धम्म, कास्ट इन इंडिया, हू वेअर द शूद्राज?, रिडल्स इन हिंदुइझम आदि शामिल हैं। 32 किताबें और मोनोग्राफ (''22 पुर्ण तथा 10 अधुरी किताबें''), 10 ज्ञापन, साक्ष्य और वक्तव्य, 10 अनुसंधान दस्तावेज, लेखों और पुस्तकों की समीक्षा एवं 10 प्रस्तावना और भविष्यवाणियां इतनी सारी उनकी अंग्रेजी भाषा की रचनाएँ हैं।<ref>{{Cite book|title=प्रज्ञा महामानवाची (खंड २)|last=जाधव|first=डॉ. नरेंद्र|publisher=ग्रंथाली|year=24 अक्तुबर 2012|isbn=9789380092300|location=|pages=344-350|language = mr}}</ref> उन्हें ग्रारह भाषाओं का ज्ञान था, जिसमें [[मराठी भाषा|मराठी]] (मातृभाषा), [[अंग्रेजी]], [[हिन्दी]], [[पालि]], [[संस्कृत]], [[गुजराती भाषा|गुजराती]], [[जर्मन]], [[फ़ारसी भाषा|फारसी]], [[फ्रेंच]], [[कन्नड]] और [[बंगाली भाषा|बंगाली]] ये भाषाएँ शामील है।<ref>{{Cite book|title=माझी आत्मकथा|last=आंबेडकर|first=डॉ. बाबासाहेब|publisher=|year= 2012|isbn=|location=|pages=|language = mr}}</ref> आम्बेडकर ने अपने समकालिन सभी राजनेताओं की तुलना में सबसे अधिक लेखन किया हैं।<ref>{{Cite book|title=बोल महामानवाचे|last=जाधव|first=डॉ. नरेंद्र|publisher=ग्रंथाली|year=24 अक्तुबर 2012|isbn=9789380092300|location=|pages=5|language = mr}}</ref> उन्होंने अधिकांश लेखन अंग्रेजी में किया हैं। सामाजिक संघर्ष में हमेशा सक्रिय और व्यस्त होने के साथ ही, उनके द्वारा रचित अनेकों किताबें, निबंध, लेख एवं भाषणों का बड़ा संग्रह है। वे असामान्य प्रतिभा के धनी थे। उनके साहित्यिक रचनाओं को उनके विशिष्ट सामाजिक दृष्टिकोण, और विद्वता के लिए जाना जाता है, जिनमें उनकी दूरदृष्टि और अपने समय के आगे की सोच की झलक मिलती है। आम्बेडकर के ग्रंथ भारत सहित पुरे विश्व में बहुत पढे जाते है। [[भगवान बुद्ध और उनका धम्म]] यह उनका ग्रंथ 'भारतीय बौद्धों का धर्मग्रंथ' है तथा बौद्ध देशों में महत्वपुर्ण है।<ref>{{cite book|author=Christopher Queen|editor=Steven M. Emmanuel|title=A Companion to Buddhist Philosophy|url=https://books.google.com/books?id=P_lmCgAAQBAJ |year=2015|publisher=John Wiley & Sons|isbn=978-1-119-14466-3|pages=529–531}}</ref> उनके डि.एस.सी. प्रबंध ''द प्रॉब्लम ऑफ द रूपी : इट्स ओरिजिन ॲन्ड इट्स सोल्युशन'' से भारत के केन्द्रिय बैंक यानी [[भारतीय रिज़र्व बैंक]] की स्थापना हुई है।<ref>{{Cite web|url=https://topyaps.com/reserve-bank-of-india-facts-2/|title=11 Facts You Never Knew About The Reserve Bank Of India (RBI)|date=15 जन॰ 2015|accessdate=25 अप्रैल 2019}}</ref><ref>{{Cite web|url=https://drambedkarbooks.com/tag/dr-ambedkars-role-in-the-formation-of-reserve-bank-of-india/|title=Dr Ambedkar’s Role in the Formation of Reserve Bank of India | Dr. B. R. Ambedkar's Caravan|accessdate=25 अप्रैल 2019}}</ref><ref>http://rbidocs.rbi.org.in/rdocs/Publications/PDFs/RBI290410BC.pdf</ref>
[[महाराष्ट्र]] सरकार के शिक्षा विभाग ने बाबासाहेब आंबेडकर के सम्पूर्ण साहित्य को कई खण्डों में प्रकाशित करने की योजना बनायी है और उसके लिए 15 मार्च 1976 को डॉ॰ बाबासाहेब आम्बेडकर मटेरियल पब्लिकेशन कमिटी कि स्थापना की। इसके अन्तर्गत 2019 तक 'डॉ॰ बाबासाहेब आम्बेडकर: राइटिंग्स एण्ड स्पीचेज' नाम से 22 खण्ड अंग्रेजी भाषा में प्रकाशित किये जा चुके हैं, और इनकी पृष्ठ संख्या 15 हजार से भी अधिक हैं। इस योजना के पहले खण्ड का प्रकाशन आम्बेडकर के जन्म दिवस 14 अप्रैल 1979 को हुआ। इन 22 वोल्युम्स में वोल्युम 14 दो भागों में, वोल्युम 17 तीन भागों में, वोल्युम 18 तीन भागों में व संदर्भ ग्रंथ 2 हैं, यानी कुल 29 किताबे प्रकाशित हैं।<ref>{{Cite web|url=https://www.mea.gov.in/books-writings-of-ambedkar.htm|title=Books & Writings of Ambedkar | Dr. B. R. Ambedkar|website=www.mea.gov.in}}</ref> 1987 से उनका मराठी अनुवाद करने का काम ने सुरू किया गया है, किंतु ये अभीतक पूरा नहीं हुआ। ‘डॉ॰ बाबासाहेब आम्बेडकर: राइटिंग्स एण्ड स्पीचेस’ के खण्डों के महत्व एवं लोकप्रियता को देखते हुए [[भारत सरकार]] के ‘सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय’ के डॉ॰ आम्बेडकर प्रतिष्ठान ने इस खण्डों के हिन्दी अनुवाद प्रकाशित करने की योजना बनायी और इस योजना के अन्तर्गत अभी तक "बाबा साहेब डा. अम्बेडकर: संपूर्ण वाङ्मय" नाम से 21 खण्ड हिन्दी भाषा में प्रकाशित किये जा चुके हैं। यह 21 हिन्दी खंड महज 10 अंग्रेजी खंडो का अनुवाद हैं। इन हिन्दी खण्डों के कई संस्करण प्रकाशित किये जा चुके हैं। आंबेडकर का संपूर्ण लेखन साहित्य महाराष्ट्र सरकार के पास हैं, जिसमें से उनका आधे से अधिक साहित्य अप्रकाशित है। उनका पूरा साहित्य अभीतक प्रकाशित नहीं किया गया हैं, उनके अप्रकाशित साहित्य से 45 से अधिक खंड बन सकते हैं।<ref>{{Cite book|title=Dr. Babasaheb Ambedkar: Writing and Speeches|last=Ambedkar|first=Dr. Babasaheb|publisher=Education department, the government of Maharashtra|year=1979|isbn=9789351090649|location=Mumbai |pages=15,000+|language=English}}</ref><ref>{{Cite web|url=https://www.dnaindia.com/india/report-official-apathy-out-to-destroy-rare-ambedkar-books-2425623|title=Dr Ambedkar's rare works pushed into a cubbyhole for construction of Metro station|date=3 मई 2017|website=DNA India}}</ref>
===आम्बेडकर का साहित्य===
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महाराष्ट्र के नागपुर ज़िले के चिचोली गाँव में डॉ॰ आम्बेडकर वस्तु संग्रहालय - 'शांतिवन' में आम्बेडकर के निजी उपयोग की वस्तुएँ रखी हैं।<ref>{{Cite web|url=https://www.bbc.com/hindi/india-39597352|title=बाबा साहब आंबेडकर की यादें|date=14 अप्रैल 2017|accessdate=25 अप्रैल 2019|via=www.bbc.com}}</ref>
आंबेडकर को स्मरण करने वाली मूर्तियाँ और स्मारक पूरे भारत में फैले हुए हैं<ref>{{Cite news|url=https://www.bbc.com/news/world-asia-india-34399696|title=Why are statues of Indian icon Ambedkar being caged?|last=Biswas|first=Soutik|date=2 October 2015|work=BBC News|access-date=27 December 2018}}</ref> साथ ही साथ कई विदेशों में भी हैं।<ref>{{cite web|url=https://www.ndtv.com/india-news/pm-narendra-modi-inaugurates-ambedkar-memorial-in-london-1243419|title=PM Narendra Modi Inaugurates Ambedkar Memorial in London|website=NDTV.com|access-date=27 December 2018}}</ref><ref>{{cite web|url=https://indianexpress.com/article/cities/mumbai/fadnavis-unveils-ambedkar-statue-at-japan-varsity/|title=Fadnavis unveils Ambedkar statue at Japan varsity|date=11 September 2015|website=The Indian Express|access-date=27 December 2018}}</ref> आम्बेडकर भारत के सबसे पूजनीय नेता हैं। उनकी मूर्ति भारत के हर कस्बे, गाँव, शहर, चौराहे, रेलवे स्टेशन और पार्कों में भारी संख्या में लगी हैं। उनको आमतौर पर पश्चिमी सूट और टाई के साथ सामने वाली जेब में एक कलम और बांहों में भारतीय संविधान की क़िताब लिए और चश्मा लगाए एक गठीले इंसान के रूप में विश्व भर में चित्रित किया जाता हैं। [[ग्रेट ब्रिटेन]] एवं [[जापान]] में भी उनकी उंची मुर्तियाँ स्थापित हैं।<ref>{{Cite web|url=https://www.bbc.com/news/world-asia-india-34399696|title=Why are statues of Indian icon Ambedkar being caged?|first=Soutik|last=Biswas|date=2 अक्तू॰ 2015|accessdate=25 अप्रैल 2019|via=www.bbc.com}}</ref> 2015 में मुंबई में स्थित [[समानता की प्रतिमा|स्टैच्यू ऑफ़ इक्वैलिटी]] या "डॉ॰ बाबासाहेब आम्बेडकर स्मारक" नामक एक भव्य स्मारक बनाने के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई थी, इसमें आंबेडकर की 450 फीट ऊंची मूर्ति होंगी।<ref>{{Cite web|url=https://
==लोकप्रिय संस्कृति में==
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* ''शूद्रा: द राइझिंग'' - आम्बेडकर को समर्पित हिंदी फिल्म (२०१०)<ref>{{Cite web|url=http://www.imdb.com/title/tt2236494/|title=Shudra the Rising|accessdate=25 अप्रैल 2019|via=www.imdb.com}}</ref>
* ''अ जर्नी ऑफ सम्यक बुद्ध'' - हिंदी फिल्म (२०१३), जो आम्बेडकर के [[भगवान बुद्ध और उनका धम्म]] ग्रन्थ पर आधारित है।<ref>{{Cite web|url=https://timesofindia.indiatimes.com/city/nagpur/Film-on-Buddha-based-on-Ambedkars-book-to-be-released-on-March-15/articleshow/18944610.cms|title=Film on Buddha based on Ambedkar's book to be released on March 15 | Nagpur News - Times of India|website=The Times of India|accessdate=25 अप्रैल 2019}}</ref>
* ''रमाबाई'' - एम रंगनाथ द्वारा निर्देशित 2016 की कन्नड फिल्म, जिसमें आंबेडकर की भूमिका सिद्दराम कर्नीक ने निभाई थी।<ref>{{Cite web|url=https://www.thehindu.com/news/cities/bangalore/remembering-ramabai/article7101466.ece|title=Remembering Ramabai|first=Muralidhara|last=Khajane|date=14 अप्रैल 2015|accessdate=25 अप्रैल 2019|via=www.thehindu.com}}</ref><ref>{{Cite web|url=https://web.archive.org/web/20151021125521/http://timesofindia.indiatimes.com/Ramabai-Ambedkar/speednewsbytopic/keyid-256954.cms|title=Ramabai Ambedkar: Real Time News and Latest Updates on Ramabai Ambedkar at The Times of India|date=21 अक्तू॰ 2015|website=web.archive.org}}</ref>
* ''बोले इंडिया जय भीम'' - सुबोध नागदेवे द्वारा निर्देशित 2016 की मराठी फिल्म, जिसमें आंबेडकर की भूमिका श्याम भिमसारीयां ने निभाई थी।
* ''शरणं गच्छामि'' – प्रेम राज द्वारा निर्देशित 2017 की तेलुगु फिल्म, जो आंबेडकर के विचारों पर आधारित है।
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== गांधी से संबन्ध एवं विचार ==
1920 के दशक में आंबेडकर विदेश में पढ़ाई पूरी कर भारत लौटे और सामाजिक क्षेत्र में कार्य करना आरम्भ किया। उस वक्त [[महात्मा गांधी]] ने कांग्रेस पार्टी की अगुवाई में आजादी के आंदोलन शुरु कर दिया था। 14 अगस्त, 1931 को आंबेडकर और गांधी की पहली मुलाकात बंबई के मणि भवन में हुई थी। उस वक्त तक गांधी को यह मालूम नहीं था कि आंबेडकर स्वयं एक कथित ‘अस्पृश्य’ हैं। वह उन्हें अपनी ही तरह का एक समाज-सुधारक ‘सवर्ण’ या ब्राह्मण नेता समझते नेता थे। गांधी को यही बताया गया था कि आंबेडकर ने विदेश में पढ़ाई कर ऊंची डिग्रियां हासिल की हैं और वे पीएचडी हैं। दलितों की स्थिति में सुधार को लेकर उतावले हैं और हमेशा गांधी व कांग्रेस की आलोचना करते रहते हैं। प्रथम गोलमेज सम्मेलन में आंबेडकर की दलीलों के बारे में जानकर गांधी विश्वास हो चला था कि यह पश्चिमी शिक्षा और चिंतन में पूरी तरह ढल चुका कोई आधुनिकतावादी युवक है, जो भारतीय समाज को भी यूरोपीय नजरिए से देख रहा है। जब गांधी की हत्या हुई थी तो घटनास्थल पर पहुंचने वालों में सबसे पहले व्यक्ति आंबेडकर ही थे और प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक वे बहुत देर तक वहां रुके थे।<ref>{{Cite web|url=https://satyagrah.scroll.in/article/106183/the-relationship-of-ambedkar-and-gandhi-series-part-1|title=बाबासाहेब और महात्मा : एक लंबे अरसे तक गांधी को पता ही नहीं था कि अंबेडकर खुद ‘अछूत’ हैं!|website=Satyagrah}}</ref><ref>{{Cite web|url=https://satyagrah.scroll.in/article/106205/when-ambedkar-told-gandhi-you-would-become-our-hero-if|title=बाबासाहेब और महात्मा : जब अंबेडकर ने गांधी से कहा, ‘आप हमारे हीरो बन जाएंगे अगर...’|website=Satyagrah}}</ref><ref>{{Cite web|url=https://satyagrah.scroll.in/article/106240/ambedkar-knew-the-risks-of-mahatma-gandhi-s-fight-against-untouchability|title=बाबासाहेब और महात्मा : अंबेडकर भी जानते थे कि दलितों के लिए लड़ रहे गांधी की जान दांव पर लगी है|website=Satyagrah}}</ref><ref>{{Cite web|url=https://www.outlookhindi.com/story/1362|title=आज के दौर में गांधी और आंबेडकर की प्रासंगिकता|website=https://www.outlookhindi.com/}}</ref>
1930 और 1940 के दशकों में आंबेडकर ने गांधी की तीखी आलोचना की। उनका विचार था कि सफाई कर्मचारियों के उत्थान का गांधीवादी रास्ता कृपादृष्टि और नीचा दिखाने वाला है। गांधी अश्पृश्यता के दाग को हटाकर हिंदुत्व को शुद्ध करना चाहते थे। दूसरी ओर आंबेडकर ने हिंदुत्व को ही खारिज कर दिया था। उनका विचार था कि यदि दलित समान नागरिक की हैसियत पाना चाहते हैं, तो उन्हें किसी दूसरी आस्था को अपनाना पडेगा। आंबेडकर को गिला था कि कांग्रेस ने दलितों के लिए कुछ भी नहीं किया। इसके लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार गांधी थे, क्योंकि वे अपने अंतिम दिनों के पहले, वर्ण व्यवस्था और जाति प्रथा का विरोध करने के लिए तैयार नहीं थे, बल्कि अपने सनातनी हिंदू होने को लेकर संतुष्ट थे। हालांकि गांधी और आम्बेडकर जिंदगी भर एक दूसरे के राजनीतिक विरोधी बने रहे, लेकिन दोनों ने अपमानजनक सामाजिक व्यवस्था को कमजोर करने में पूरक भूमिका निभाई। कानूनन छुआछूत खत्म हो गया है, लेकिन भारत के कई हिस्सों में आज भी दलितों के साथ भेदभाव किया जाता है।<ref>{{Cite web|url=https://www.amarujala.com/columns/opinion/ramchandra-guha-on-gandhi-and-ambedkar-hindi-rk|title=गांधी और अंबेडकर में किसे चुनें?|website=Amar Ujala}}</ref><ref>
26 फ़रवरी 1955 को आंबेडकर ने बीबीसी को दिए इंटरव्यू में महात्मा गांधी पर अपने विचार प्रकट किये। आंबेडकर ने कहा कि वो गांधी से हमेशा एक प्रतिद्वंद्वी की हैसियत से मिलते थे। इसलिए वो गांधी को अन्य लोगों की तुलना में बेहतर जानते थे। आंबेडकर के मुताबिक, "गांधी भारत के इतिहास में एक प्रकरण थे, वो कभी एक युग-निर्माता नहीं थे। ..." उन्होंने गांधी पर ये भी आरोप लगाया है की, गांधी हर समय दोहरी भूमिका निभाते थे। उन्होंने दो अख़बार निकाले, पहला [[हरिजन]], इस अंग्रेज़ी समाचार पत्र में गांधी ने ख़ुद को [[हिन्दू वर्ण व्यवस्था|जाति व्यवस्था]] और [[अस्पृश्यता]] का विरोधी बताया। और उनके दुसरे एक गुजराती अख़बार में वो अधिक रूढ़िवादी व्यक्ति के रूप में दिखते हैं। जिसमें वो जाति व्यवस्था, वर्णाश्रम धर्म या सभी रूढ़िवादी सिद्धांतों के समर्थक थे।" जबकि इन लेखों के अध्ययन से यह स्पष्ट है कि गांधी ने अपने अंग्रेज़ी लेखों में जाति-व्यवस्था का समर्थन किया और गुजराती लेखों में छूआछूत का विरोध किया है। आंबेडकर ने छूआछूत के उन्मूलन के साथ समान अवसर और गरिमा पर जोर दिया था और दावा किया कि गांधी इसके विरोधी थे। उनके मुताबिक गांधी छूआछूत की बात सिर्फ़ इसलिए करते थे ताकि अस्पृश्यों को कांग्रेस के साथ जोड़ सकें। वो चाहते थे कि अस्पृश्य स्वराज की उनकी अवधारणा का विरोध न करें। गांधी एक कट्टरपंथी सुधारक नहीं थे और उन्होंने [[ज्योतिराव गोविंदराव फुले|ज्योतिराव फुले]] या फिर आंबेडकर के तरीके से जाति व्यवस्था को खत्म करने का प्रयास नहीं किया।<ref
गांधी और आंबेडकर ने अनेक मुद्दों पर एक जैसे विचार रखे, जबकि कई मुद्दों पर उनके विचार बिलकुल अलग या विपरीत थे। ग्रामीण भारत, जाति प्रथा और छुआ-छूत के मुद्दों पर दोनो के विचार एक दूसरे का विरोधी थे। हालांकि दोनों की कोशिश देश को सामाजिक न्याय और एकता पर आधारित करने की थी और दोनों ने इन उद्देश्यों के लिए अलग-अलग रास्ता दिखाया। गांधी के मुताबिक यदि हिंदू जाति व्यवस्था से छुआछूत को निकाल दिया जाए तो पूरी व्यवस्था समाज के हित में काम कर सकती है। इसकी तार्किक अवधारणा के लिए गांधी ने गांव को एक पूर्ण समाज बोलते हुए विकास और उन्नति के केन्द्र में रखा। गांधी के उलट आंबेडकर ने जाति व्यवस्था को पूरी तरह से नष्ट करने का मत सामने रखा। आंबेडकर के मुताबिक जबतक समाज में जाति व्यवस्था मौजूद रहेगी, छुआछूत नए-नए रूप में समाज में पनपती रहेंगी। गांधी ने लोगों को गांव का रुख करने की वकालत की, जबकि आंबेडकर ने लोगों से गांव छोड़कर शहरों का रुख करने की अपील की। गांव व शहर के बारे में गांधी व आंबेडकर के कुछ भिन्न विचार थे। गांधी सत्याग्रह में भरोसा करते थे। आंबेडकर के मुताबिक सत्याग्रह के रास्ते ऊंची जाति के हिंदुओं का हृदय परिवर्तन नहीं किया जा सकता क्योंकि जाति प्रथा से उन्हें भौतिक लाभ होता है। गांधी राज्य में अधिक शक्तियों को निहित करने के विरोधी थे। उनकी प्रयास अधिक से अधिक शक्तियों को समाज में निहित किया जाए और इसके लिए वह गांव को सत्ता का प्रमुख इकाई बनाने के पक्षधर थे। इसके उलट आंबेडकर समाज के बजाए अधिक को अधिक से ज्यादा ताकतवर बनाने की पैरवी करते थे।<ref>{{Cite web|url=https://m.aajtak.in/news/national/story/what-differentiates-bhimrao-ambedkar-from-mahatma-gandhi-923344-2017-04-14|title=ये बातें बाबा साहेब अंबेडकर को महात्मा गांधी से अलग करती हैं|website=https://m.aajtak.in}}</ref><ref>{{Cite web|url=https://books.google.co.in/books?id=3LCyOqW-FvkC&pg=PT149&lpg=PT149&dq=%E0%A4%86%E0%A4%82%E0%A4%AC%E0%A5%87%E0%A4%A1%E0%A4%95%E0%A4%B0+%E0%A4%97%E0%A4%BE%E0%A4%82%E0%A4%A7%E0%A5%80+%E0%A4%B8%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%AF%E0%A4%BE%E0%A4%97%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%B9&source=bl&ots=1HuINPLLdM&sig=ACfU3U2WnuTANemwrhWLiTAk8UyFicV2oA&hl=en&sa=X&ved=2ahUKEwi1-M7zxqLjAhWE6XMBHY5iCng4ChDoATADegQICRAB|title=Gandhi Aur Ambedkar|first=Ganesh|last=Mantri|date=1 जन॰ 2009|publisher=Prabhat Prakashan|via=Google Books}}</ref><ref>{{Cite web|url=https://hindi.theprint.in/opinion/ambedkar-mahad-march-vs-gandhi-dandi-march/56363/|title=नमक से पहले पानी: आंबेडकर का महाड़ मार्च बनाम गांधी का दांडी मार्च}}</ref>
== इन्हें भी देखें ==
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