"परमर्दिदेव": अवतरणों में अंतर

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इस महान योद्धा की प्रस्तुत जानकारी काव्य और शिलालेख के आधार पर प्रस्तुत की गई है। परमालरासो तथा आल्हाखंड के वर्णनों से यह निश्चित है कि चौहानों और चन्देलों का यह संघर्ष कुछ वर्षों तक चलता रहा और इसमें दोनों पक्षों की पर्याप्त हानि हुई। परमर्दिदेव के मुख्य सेनापति में से चन्देलवंशी बनाफर बंधु आल्हा, ऊदल, सुलखे मलखे एवम युवराज ब्रम्हजित चन्देल थे। यह विनाशकारी युद्ध महोबा एवं कीर्तिसागर के युद्ध में चौहानों की हार और चन्देलो की विजय पर खत्म हुआ।
 
[[File:Chandel Empire around 1202 A.D.jpg|thumb|200px]]
 
परमर्दिदेव के शासनकाल के पहले कुछ वर्षों के शिलालेख सेमरा (1165-1166 सीई), [[महोबा]] (1166-1167 सीई), [[इछावर]] (1171 सीई), महोबा (1173 सीई) में पाए गए हैं। पचर (1176 सीई) और [[चरखारी]] (1178 सीई)।{{sfn|Sisirkumar Mitra|1977|p=119}} ये सभी शिलालेख उनके लिए शाही उपाधियों का उपयोग करते हैं: ''बालोपनाता-परमभट्टरक-महाराजाधिराज-परमेश्वर परम-महेश्वर श्री-कलंजराधिपति चक्रवर्ती सम्राट श्रीमनमत परमर्दी-देव-वर्मन''। यह इंगित करता है कि अपने शासनकाल के प्रारंभिक भाग में, परमर्दी-देव ने अपने दादा मदनवर्मन से विरासत में प्राप्त साम्राज्य को बरकरार रखा था। {{sfn|Parmaalraso|1187|p=340}}{{sfn|Sisirkumar Mitra|1977|p=120}}