"सामाजिक मीडिया": अवतरणों में अंतर

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वहीँ बढती जा रही सामाजिक मीडिया साइट्स के कई सारे नुकसान भी हैं। ये साइट्स ऑनलाइन शोषण का साधन भी बनती जा रही हैं। ऐसे कई केस दर्ज किए गए हैं जिनमें सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स का प्रयोग लोगों को सामाजिक रूप से हानि पहुँचाने, उनकी खिचाई करने तथा अन्य गलत प्रवृत्तियों से किया गया।<ref>{{cite web |url=http://www.huffingtonpost.com/2012/11/12/disappearing-romney-website_n_2117165.html |author=फित्ज़गेराल्ड, बी.  |title=डिस अपियरिंग रोमनी |publisher=दि हफिंग्टन पोस्ट |date=25 मार्च 2013 |accessdate=25 मार्च 2013 |archive-date=13 नवंबर 2013 |url-status=bot: unknown |archive-url=https://web.archive.org/web/20131113133221/http://www.huffingtonpost.com/2012/11/12/disappearing-romney-website_n_2117165.html }}</ref><ref>{{cite web |url=http://www.zdnet.com/are-social-media-silos-holding-back-business-results-7000017227/ |title=आर सोशल मीडिया सिलोस होल्डिंग बेक बिज़नस |author=हिन्शिफ, डॉन. |publisher=ZDNet.com |accessdate=15 फरबरी 2014 |date=22 फ़रवरी 2014 |url-status=bot: unknown |archive-date=22 फ़रवरी 2014 |archive-url=https://web.archive.org/web/20140222173356/http://www.zdnet.com/are-social-media-silos-holding-back-business-results-7000017227/ }}</ref><ref>{{cite web |last1=अनिमेष |first1=शर्मा |title=सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का उपयोग करते समय मैलवेयर और फ़िशिंग से सुरक्षित रहें, एक क्लिक और आपका बैंक खाता शून्य |url=https://www.prabhasakshi.com/technologyarticles/be-safe-while-using-social-media-platforms |website=prabhasakshi.com |publisher=[[प्रभासाक्षी]] |accessdate=10 जनवरी 2022}}</ref>
 
सामाजिक मीडिया के व्यापक विस्तार के साथ-साथ इसके कई नकारात्मक पक्ष भी उभरकर सामने आ रहे हैं। पिछले वर्ष मेरठ में हुयी एक घटना ने सामाजिक मीडिया के खतरनाक पक्ष को उजागर किया था। वाकया यह हुआ था कि उस किशोर ने फेसबूक पर एक ऐसी तस्वीर अपलोड कर दी जो बेहद आपत्तीजनक थी, इस तस्वीर के अपलोड होते ही कुछ घंटे के भीतर एक समुदाय के सैकडों गुस्साये लोग सडकों पर उतार आए। जबतक प्राशासन समझ पाता कि माजरा क्या है, मेरठ में दंगे के हालात बन गए। प्रशासन ने हालात को बिगडने नहीं दिया और जल्द ही वह फोटो अपलोड करने वाले तक भी पहुँच गया। लोगों का मानना है कि परंपरिक मीडिया के आपत्तीजनक व्यवहार की तुलना में नए सामाजिक मीडिया के इस युग का आपत्तीजनक व्यवहार कई मायने में अलग है। नए सामाजिक मीडिया के माध्यम से जहां गडबडी आसानी से फैलाई जा सकती है, वहीं लगभग गुमनाम रहकर भी इस कार्य को अंजाम दिया जा सकता है। हालांकि यह सच नहीं है, अगर कोशिश की जाये तो सोशल मीडिया पर आपत्तीजनक व्यवहार करने वाले को पकडा जा सकता है और इन घटनाओं की पुनरावृति को रोका भी जा सकता है। केवल मेरठ के उस किशोर का पकडे जाना ही इसका उदाहरण नहीं है, वल्कि सोशल मीडिया की ही दें है कि लंदन दंगों में शामिल कई लोगों को वहाँ की पुलिस ने पकडा और उनके खिलाफ मुकदमे भी दर्ज किए। और भी कई उदाहरण है जैसे बैंकुअर दंगे के कई अहम सुराग में सोशल मीडिया की बडी भूमिका रही। मिस्र के तहरीर चैक और ट्यूनीशिया के जैस्मिन रिवोल्यूशन में इस सामाजिक मीडिया की महत्वपूर्ण भूमिका को कैसे नकारा जा सकता है।<ref>जनसंदेश टाइम्स,5 जनवरी 2014, पृष्ठ संख्या:1 (पत्रिका ए टू ज़ेड लाइव), शीर्षक:आम आदमी की नई ताक़त बना सोशल मीडिया, लेखक: रवीन्द्र प्रभात</ref><ref>{{Cite web|url=https://tiktok18free.com/tiktok-18-download-tiktok-18-plus/|title=TikTok 18+ Official APK v1.3.7. Free Download here – TikTok 18|date=2023-05-16|website=tiktok18free.com|language=en-US|access-date=2023-05-29}}</ref>
 
सोशल मीडिया की आलोचना उसके विज्ञापनों के लिए भी की जाती है। इस पर मौजूद विज्ञापनों की भरमार उपभोक्ता को दिग्भ्रमित कर देती है तथा ऐसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स एक इतर संगठन के रूप में काम करते हैं तथा विज्ञापनों की किसी बात की जवाबदेही नहीं लेते हैं जो कि बहुत ही समस्यापूर्ण है।<ref>{{cite web |url=http://www.independent.co.uk/news/media/advertising/style-over-substance-wayne-rooney-cleared-of-nike-twitter-plug-8797109.html |title=स्टाइल ओवर सब्सतांस: वायने रूनी क्लेअरेड ऑफ़ नाइके ट्विटर प्लग |author=शेर्विन आदम, आदम |publisher=दि इंडिपेंडेंट |accessdate=4 सितम्बर 2014 |archive-url=https://web.archive.org/web/20140220171945/http://www.independent.co.uk/news/media/advertising/style-over-substance-wayne-rooney-cleared-of-nike-twitter-plug-8797109.html |archive-date=20 फ़रवरी 2014 |url-status=live }}</ref><ref>{{Cite web |url=http://www.marketingweek.co.uk/news/nike-rooney-twitter-promo-escapes-censure/4007808.article |title=संग्रहीत प्रति |access-date=19 फ़रवरी 2014 |archive-url=https://web.archive.org/web/20140123025849/http://www.marketingweek.co.uk/news/nike-rooney-twitter-promo-escapes-censure/4007808.article |archive-date=23 जनवरी 2014 |url-status=live }}</ref>