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== इतिहास ==
{{Main|प्रयागराजइलाहाबाद का इतिहास }}
[[चित्र:Gandhi Patel 1940.jpg|right|thumb|250px|कांग्रेस कार्यकारिणी समिति की आनन्द भवन, इलाहाबाद (प्रयागराज) में बैठक में [[महात्मा गांधी]], उनके बायीं ओर [[वल्लभ भाई पटेल|वल्लभभाई पटेल]] एवं [[विजयलक्ष्मी पंडित]] उनके दायीं ओर, जनवरी, 1940]]
 
प्राचीन काल में शहर को "प्रयाग" (बहु-यज्ञ स्थल)इलाहाबाद के नाम से जाना जाता था। ऐसा इसलिये क्योंकि सृष्टि कार्य पूर्ण होने पर सृष्टिकर्ता ब्रह्मा ने प्रथम यज्ञ यहीं किया था, वह उसके बाद यहां अनगिनत यज्ञ हुए। भारतवासियों के लिये प्रयाग एवं [[कौशाम्बी जिला|वर्तमान कौशाम्बी जिले]] के कुछ भाग यहां के महत्वपूर्ण क्षेत्र रहे हैं। यह क्षेत्र पूर्व से [[मौर्य राजवंश|मौर्य]] एवं [[गुप्त राजवंश|गुप्त]] साम्राज्य के अंश एवं पश्चिम से [[कुषाण राजवंश|कुशान साम्राज्य]] का अंश रहा है। बाद में ये [[कन्नौज]] साम्राज्य में आया। 1526 में [[मुग़ल साम्राज्य|मुगल साम्राज्य]] के भारत पर पुनराक्रमण के बाद से प्रयागराज मुगलों के अधीन आया। [[अकबर]] ने यहां संगम के घाट पर एक वृहत दुर्ग निर्माण करवाया था। शहर में [[मराठा साम्राज्य|मराठों]] के आक्रमण भी होते रहे थे। इसके बाद अंग्रेजों के अधिकार में आ गया। 1775 में दुर्ग में थल-सेना के गैरीसन दुर्ग की स्थापना की थी। [[१८५७|1857]] के [[१८५७ का प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम|प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम]] में प्रयागराज भी सक्रिय रहा। 1904 से 1949 तक इलाहाबाद (प्रयागराज) संयुक्त प्रांतों (अब, [[उत्तर प्रदेश]]) की राजधानी था।
 
[[भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस]] का वार्षिक अधिवेशन यहां दरभंगा किले के विशाल मैदान में 1888 एवं पुनः 1892 में हुआ था।<ref>The Congress – First Twenty Years; Page 38 and 39</ref><ref>How India Wrought for Freedom: The story of the National Congress Told from the Official records (1915) by Anne Besant.</ref>