अयोध्या का इतिहास अत्यन्त गौरवपूर्ण एवं समृद्ध है। यह प्रभु श्रीराम की जन्म एवं कर्मस्थली है। प्रभु श्रीराम की जन्मस्थली रामजन्मभूमि [[अयोध्या जिला|अयोध्याफैजाबाद जनपद]] में स्थित है। राम भरत मिलाप के पश्चात [[भरत]] खड़ाऊँ लेकर अयोध्या मुख्यालय से 15 किमी॰ दक्षिण [[सुलतानपुर जिला| सुलतानपुर रोड]] रोड पर स्थित [[भरतकुण्ड]] नामक स्थान पर चौदह वर्ष तक रहे। यहाँ पतित पावनी माँ सरयू नदी रूप में अवतरित होकर सदियोँ से मानव कल्याण करती है। अयोध्या की स्थापना अवध के पहले नबाव [[सआदत अली खान]] ने 1730 में की थी। उन्होंने इसे अपनी राजधानी बनाई, लेकिन वह यहाँ बहुत कम समय व्यतीत कर पाए। तीसरे नवाब शुजाउद्दौला यहाँ रहते थे और उन्होंने नदी के तट पर 1764 में एक दुर्ग का निर्माण करवाया था; उनका और उनकी बेगम का मक़बरा इसी शहर में स्थित है। 1775 में अवध की राजधानी को [[लखनऊ]] ले जाया गया। 19वीं शताब्दी में अयोध्या का पतन हो गया।