"बन्दा सिंह बहादुर": अवतरणों में अंतर

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|जीवनसाथी= सुशील कौर}}
 
'''बन्दा सिंह बहादुर''' सिख [[सेनानायक]] थे। उनका जन्म भारद्वाज गोत्र के डोगरा राजपूतब्राह्मण परिवार में हुआ था। उन्होंने 15 साल की उम्र में तपस्वी बनने के लिए घर छोड़ दिया , और उन्हें माधो दास बैरागी नाम दिया गया। उन्होंने गोदावरी नदी के तट पर नांदेड़ में एक मठ की स्थापना की। <ref>{{cite book |author=हरबंस कौर सागू |title= बंदा सिंह बहादुर और सिख राज्य |url=https://books.google.com/books?id=XnPiAAAAMAAJ |year=2001 |publisher=दीप और दीप |page=112 |isbn=9788176293006 |quote=उनके पिता भारद्वाज गोत्र के राजपूत थे}}</ref> 1707 में, गुरु गोबिंद सिंह ने दक्षिणी भारत में बहादुर शाह प्रथम बार मिलने का निमंत्रण स्वीकार किया। उन्होंने 1708 में बंदा सिंह बहादुर से मुलाकात की।<ref name="hello">{{citation|url=https://books.google.ca/books?id=OVqP54UEe4QC&pg=PA117|title=Revenge and Reconciliation|author=Rajmohan Gandhi|pages=117–118|access-date=24 अप्रैल 2016|archive-url=https://web.archive.org/web/20160304231022/https://books.google.ca/books?id=OVqP54UEe4QC&pg=PA117|archive-date=4 मार्च 2016|url-status=live}}</ref><ref name=eos>{{cite web |url=http://www.learnpunjabi.org/eos/BANDA%20SINGH%20BAHADUR%20%281670-1716%29.html |last=Ganda Singh |title=Banda Singh Bahadur |website=Encyclopaedia of Sikhism |publisher=Punjabi University Patiala |accessdate=27 January 2014 |archive-url=https://web.archive.org/web/20150217022740/http://www.learnpunjabi.org/eos/BANDA%20SINGH%20BAHADUR%20(1670-1716).html |archive-date=17 फ़रवरी 2015 |url-status=live }}</ref><ref>{{cite web |url=http://www.britannica.com/EBchecked/topic/51460/Banda-Singh-Bahadur |title=Banda Singh Bahadur |publisher=Encyclopedia Britannica |accessdate=15 May 2013 |archive-url=https://web.archive.org/web/20130614090946/http://www.britannica.com/EBchecked/topic/51460/Banda-Singh-Bahadur |archive-date=14 जून 2013 |url-status=live }}</ref> भी कहते हैं। उनका मूल नाम बंदा सिंह ने गुरु गोबिंद सिंह के प्रभाव में [[मुगल|मुगलों]] के अजेय होने के भ्रम को तोड़ा और [[चार साहिबज़ादे|साहबज़ादों]] की शहादत का बदला लिया। उन्होंने [[गुरु गोबिन्द सिंह]] द्वारा संकल्पित प्रभुसत्ता 'खालसा राज' की राजधानी [[लोहगढ़]] में सिख राज्य की नींव रखी। यही नहीं, उन्होंने [[गुरु नानक|गुरु नानक देव]] और [[गुरु गोबिन्द सिंह]] के नाम से [[सिक्का]] और मोहरें जारी की, निम्न वर्ग के लोगों की उच्च पद दिलाया और हल वाहक किसान-मज़दूरों को ज़मीन का मालिक बनाया।
 
== आरम्भिक जीवन ==