"प्यार": अवतरणों में अंतर

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डॉक्टर शुभम पाल के अनुसार "प्यार जीवन का आधार है। जवानी का मूल कारण प्यार है। यह एक एहसासों का बंधन है जो दो प्रेमियों के बीच दांपत्य जीवन को प्रगाड करने में सहायक सिद्ध होता है।"
 
प्यार को अलग-अलग तरह से परिभाषित किया जा सकता है परन्तु समझने वालों के लिए प्यार के मायने अलग-अलग होते हैं। कोई हवस को प्यार समझता है तो कोई त्याग को प्यार समझता है किसी की नजर में प्यार जिम्मेदारी है तो किसी की नजर में प्यार चिंता प्यार है कहने का मतलब है आज लोग स्वार्थ के नजरिए से ही प्यार को परिभाषित करते हैं किसी लिए कुछ किया तो वो प्यार है नही किया तो प्यार नही है। मेरी नजर में प्यार बलिदान का नाम है जो किसी भी [[क्षेत्री|क्षेत्र]] में या किसी भी व्यक्ति के लिए हो सकता है,मेरी नजरें किसी को नुकसान ना पहुंचाना भी प्यार है,किसी अपराधी का साथ ना देकर उस व्यक्ति के लिए हमारा प्यार ही जिसे हमने किसी अपराधी से बचा लिया। कुल मिलाकर सकारात्मक नजरिए से जीना और किसी को नुकसान ना पहुंचाना प्यार है। प्यार में पड़े इंसान को सब कुछ सुन्दर लगने लगता है और वह नयी नयी कल्पनाएं करने लगता है। इस शब्दों में बयां करना मुश्किल है लेकिन ऐसा मन जाता है की समय के साथ साथ अगर दोनों में विश्वास, इज़्ज़त, समर्पण बना रहे तो प्यार को मज़बूत किया जा सकता है।<ref>{{cite web |title=Romantic Love Shayari In Hindi |url=https://shayariwali.com/love-shayari-in-hindi/ |website=shayariwali.com |accessdate=27 मार्च 2023}}</ref> इंसान में व्यवहार और मानसिक बदलाव देखे जाते हैं। असल में प्यार की परिभाषा करना कठिन है। इसे दो मनुष्यों का मिलान कहा जा सकता है। जब मनुष्य में काफी परिपक्वता आ जाती है तो प्यार होने के अवसर काफी काम हो जाते हैं। प्यार बिना सोचे ही होता है, इसीलिए हर इंसान को प्यार कम उम्र में ही होता है। <ref>{{cite web |title=Pyar Kya Hai & प्यार की परिभाषा क्या है? दार्शनिक एवं डिक्शनरी |url=https://kulhaiya.com/pyar-kya-hai-love-ki-paribhasha/ |website=kulhaiya.com |accessdate=5 जुलाई 2023}}</ref>
 
=== दार्शनिक दृष्टिकोण ===
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==प्यार मे दुरिया ==
प्यार वह अहसास है जो हमे ज़िंदगी मे पहली बार एक व्यक्ति को देख कर होता है और प्यार में दूरियां सिर्फ देह की हो सकती हैं, मगर रूह में प्यार बसाने के बाद प्यार अमर हो जाता है। देह की दूरियां नजदीकियों से बेहतर हैं जब प्यार किसी से होता है। एक झलक सभी दूरियां समाप्त कर दे वो प्यार ही है। रिश्ता अगर मज़बूत हो तो दूरियां कितनी भी हो प्यार में अड़चन नहीं बनती।
 
==जब प्यार किसी से होता है ==
जब कोई इंसान किसी दूसरे इंसान को देख कर अत्यधिक प्रभावित हो जाये, उसके अक्श से आकर्षित हो जाये, उससे मिल कर सर्वाधिक प्रसन्न हो जाये, उसके वचन पर मंत्रमुग्ध हो जाये, उसकी क्रिया पर फ़िदा हो जाये, उसके दृष्टि पर विलीन हो जाये, उसके मिलन पर विचलित हो जाये, उससे विरह पर सुस्त हो जाये, उससे विच्छेद पर न्यौछावर हो जाये, उसके साथ विचरण पर कटिबद्ध हो जाये, जो जीवन पर आधारित हो जाये वो प्यार है। उसकी खुशी में संतोष प्राप्त करने लगे, उसके दुःख में सबसे ज्यादा चिंतित हो जाये, उसकी इच्छा में खुद को जला कर भस्म कर दे वो प्यार है।
 
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== सन्दर्भ ==
 
== बाहरी कड़ियाँ ==
 
[[श्रेणी:मानव व्यवहार]]
"https://hi.wikipedia.org/wiki/प्यार" से प्राप्त