"एडोल्फ़ हिटलर": अवतरणों में अंतर

because swastik is holy symbol in indian mythology this a symbol of love and power. hitler army symbol can't represent swastik
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'''''बोल्ड टेक्स्ट'''''{{Infobox officeholder
| name = एडोल्फ़ हिटलर<br>Adolf Hitler
| image = Hitler portrait crop.jpg
| caption = औपचारिक चित्र, 1938
| office = [[नाज़ी जर्मनी|तृतीय जर्मन राइख]] के फहरर एवं कुलाधिपति<br>([[नाज़ी जर्मनी]])
| term_end = 30 अप्रैल 1945
| predecessor = पॉल वोन हिनडेनबर्ग (राष्ट्रपति)
| successor = कार्ल डोनिट्ज़ (राष्ट्रपति)
| office = [[नाज़ी जर्मनी|तृतीय जर्मन राइख]] के कुलाधिपति<br>([[नाज़ी जर्मनी]])
| deputy2 = फ्रांज़ वोन पैपेन<br />(वाइस-कुलाधिपति, 1933–1934)
| president2 = पॉल वोन हिनडेनबर्ग<br />(1933–1934)
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अडोल्फ हिटलर का जन्म [[ऑस्ट्रिया|आस्ट्रिया]] के [[वॉन]] नामक स्थान पर 20 अप्रैल 1889 को हुआ। उनकी प्रारंभिक शिक्षा लिंज नामक स्थान पर हुई। पिता की मृत्यु के पश्चात् 17 वर्ष की अवस्था में वे [[वियना]] चले गए। कला विद्यालय में प्रविष्ट होने में असफल होकर वे पोस्टकार्डों पर चित्र बनाकर अपना निर्वाह करने लगे। जब [[पहला विश्व युद्ध|प्रथम विश्वयुद्ध]] प्रारंभ हुआ तो वे सेना में भर्ती हो गए और [[फ़्रान्स|फ्राँस]] में कई लड़ाइयों में उन्होंने भाग लिया। 1918 ई॰ में युद्ध में घायल होने के कारण वे अस्पताल में रहे। [[जर्मनी]] की पराजय का उनको बहुत दु:ख हुआ।
 
1918 ई॰ में उन्होंने नाज़ी दल की स्थापना की। इसके सदस्यों में यहुदी विरोधी नाजी रास्ट्रवाद कूट-कूटकर भरा था। इस दल ने यहूदियों को प्रथम विश्वयुद्ध की हार के लिए दोषी ठहराया। आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण जब नाज़ी दल के नेता हिटलर ने अपने नफ़रत भरे भाषणों में उसे ठीक करने का आश्वासन दिया तो अनेक जर्मन नाजी इस दल के सदस्य हो गए। हिटलर ने भूमिसुधार करने, वर्साई संधि को समाप्त करने और एक विशाल नाजी जर्मन साम्राज्य की स्थापना का लक्ष्य जनता के सामने रखा जिससे जर्मन लोग सुख से रह सकें। इस प्रकार 1922 ई. में हिटलर एक प्रभावशाली व्यक्ति हो गए। उन्होंने [[स्वस्तिक]] jaisa symbol को अपने दल का चिह्र बनाया, समाचारपत्रों के द्वारा हिटलर ने अपने दल के सिद्धांतों का प्रचार जनता में किया। भूरे रंग की पोशाक पहने सैनिकों की टुकड़ी तैयार की गई। 1923 ई. में हिटलर ने जर्मन सरकार को उखाड़ फेंकने का प्रयत्न किया। इसमें वे असफल रहे और जेलखाने में डाल दिए गए। वहीं उन्होंने ''[[मीन कैम्फ]]'' ("[[मेरा संघर्ष]]") नामक अपनी आत्मकथा लिखी। इसमें नाज़ी दल के सिद्धांतों का विवेचन किया। उन्होंने लिखा कि [[नाजी|जर्मन]] जाति सभी जातियों से श्रेष्ठ है। उन्हें विश्व का नेतृत्व करना चाहिए। यहूदी सदा से संस्कृति में रोड़ा अटकाते आए हैं। जर्मन लोगों को साम्राज्यविस्तार का पूर्ण अधिकार है। [[फ़्रान्स|फ्रांस]] और [[रूस]] से लड़कर उन्हें जीवित रहने के लिए भूमि प्राप्ति करनी चाहिए।
 
1930-32 में जर्मनी में बेरोज़गारी बहुत बढ़ गई। संसद् में नाज़ी दल के सदस्यों की संख्या 230 हो गई। 1932 के चुनाव में हिटलर को राष्ट्रपति के चुनाव में सफलता नहीं मिली। जर्मनी की आर्थिक दशा बिगड़ती गई और विजयी देशों ने उसे सैनिक शक्ति बढ़ाने की अनुमति की। 1933 में चांसलर बनते ही हिटलर ने जर्मन संसद् को भंग कर दिया, कंम्युनिस्त दल को गैरकानूनी घोषित कर दिया और राष्ट्र को नाजी बनने के लिए ललकारा। हिटलर ने डॉ॰ जोज़ेफ गोयबल्स को अपना प्रचारमंत्री नियुक्त किया। नाज़ी दल के विरोधी व्यक्तियों को जेलखानों में डाल दिया गया। कार्यकारिणी और कानून बनाने की सारी शक्तियाँ हिटलर ने अपने हाथों में ले ली। 1934 में उन्होंने अपने को सर्वोच्च न्यायाधीश घोषित कर दिया। उसी वर्ष हिंडनबर्ग की मृत्यु के पश्चात् वे राष्ट्रपति भी बन बैठे। नाज़ी दल का आतंक जनजीवन के प्रत्येक क्षेत्र में छा गया। 1933 से 1938 तक लाखों यहूदियों की हत्या कर दी गई। नवयुवकों में राष्ट्रपति के आदेशों का पूर्ण रूप से पालन करने की भावना भर दी गई और जर्मन जाति का भाग्य सुधारने के लिए सारी शक्ति हिटलर ने अपने हाथ में ले ली।
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=== नाज़ीवाद के उदय के कारण ===
प्रथम विश्व युद्ध 1914 से 1918 तक चला। इसमें जर्मनी हार गया। युद्ध के कारण उसकी बहुत क्षति हुई। इन सब के ऊपर ब्रिटेन, फ़्राँस आदि मित्र राष्ट्रों ने उस पर बहुत अधिक दंड लगा दिए। उसकी सेना बहुत छोटी कर दी, उसकी प्रमुख खदानों पर कब्ज़ा कर लिया तथा इतना अधिक अर्थ दंड लगा दिया कि अनेक वर्षों तक अपनी अधिकांश कमाई देने के बाद भी कर्जा कम नहीं हो रहा था। १९१४ में एक डालर = ४.२ मार्क था जो १९२१ में ६० मार्क, नवम्बर १९२२ में ७०० मार्क,जुलाई १९२३ में एक लाख ६० हजार मार्क तथा नवम्बर १९२३ में एक डालर = २५ ख़रब २० अरब मार्क के बराबर हो गया। अर्थात मार्क लगभग शून्य हो गया जिससे मंदी, मँहगाई और बेरोजगारी का अभूतपूर्व संकट पैदा हो गया। उस समय चुनी हुई सरकार के लोग अपना जीवन तो ठाट-बाट से बिता रहे थे परन्तु देश की समस्याएँ कैसे हल करें, उन्हें न तो इसका ज्ञान था और न ही बहुत चिंता थी। ऐसे समय में हिटलर ने अपने ओजस्वी भाषणों से जनता को समस्याएँ हल करने का पूरा विश्वास दिलाया। इसके साथ ही उसके विशेष रूप से प्रशिक्षित कमांडों, विरोधियों को मारने तथा आतंक फ़ैलाने के काम भी कर रहे थे जिससे उसकी पार्टी को धीरे- धीरे सत्ता में भागीदारी मिलती गई और एक बार चांसलर (प्रधान मंत्री) बनने के बाद उसने सभी विरोधियों का सफाया कर दिया और संसद की सारी शक्तियाँ अपने हाथों में केन्द्रित कर लीं। उसके बाद वे देश के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री सबकुछ बन गए। उन्हें फ्यूरर कहा जाता था।
 
=== नाज़ीवाद का आधार ===