"वैष्णो देवी मंदिर": अवतरणों में अंतर

छो Preetirajputgsp (Talk) के संपादनों को हटाकर रोहित साव27 के आखिरी अवतरण को पूर्ववत किया
टैग: वापस लिया
पंक्ति 15:
; श्रीधर को वैष्णो देवी का प्राकट्य और भैरोंनाथ की कथा
 
[[File:Bhairav_Mandir.jpg|दाएँ|अंगूठाकार|भैरों नाथ मंदिर, जहां भैरों नाथ का सिर पहाड़ी पर गिरा था]]
====== लेखक प्रीति के अनुसार मां वैष्णो देवी मंदिर की कहानी और महिमा के बारे में माना जाता है कि करीब 700 साल पहले मंदिर का निर्माण पंडित श्रीधर ने किया था। '''श्रीधर''' एक ब्राह्मण पुजारी थे। श्रीधर व उनकी पत्नी माता रानी के परम भक्त थे, श्रीधर की पत्नी सुलोचना को कोई भी संतान नहीं थी, संतान की प्राप्ति के लिए सुलोचना ने माता के नवरात्रों के नौ रूपों की पूजा की थी। परंतु बाबा भैरव ने उनकी यह पूजना को सफल नहीं होने दिया। पूजना सफल न होने पर श्रीधर और उनकी पत्नी बहुत दुखी हुए थे। ======
ऐसा कहा जाता है कि एक प्रसिद्ध हिंदू तांत्रिक भैरों नाथ ने युवा वैष्णो देवी को एक कृषि मेले में देखा और उसके प्यार में पागल हो गए। वैष्णो देवी अपने कामुक अग्रिमों से बचने के लिए त्रिकुटा पहाड़ियों में भाग गईं, बाद में उन्होंने [[दुर्गा]] का रूप धारण किया और एक गुफा में अपनी तलवार से उनका सिर काट दिया। <ref>{{Cite book|url=https://books.google.com/books?id=NOonAAAAYAAJ|title=Journal of Religious Studies, Volume 14|publisher=Department of Religious Studies, Punjabi University|year=1986|page=56}}</ref> {{Sfn|Pintchman|2001|p=60}}
 
लेखक मनोहर सजनानी के अनुसार, हिंदू पौराणिक कथाओं का मानना है कि वैष्णो देवी का मूल निवास अर्ध कुंवारी था, जो कटरा शहर और गुफा के बीच लगभग आधे रास्ते में था।
====== एक दिन सपने में आकर माता ने श्रीधर को भंडारा करने का आदेश दिया। लेकिन श्रीधर की आर्थिक स्थिति इतनी अच्छी नहीं थी कि वह पूरे गांव वालों को भंडारा दे सके। जिस कारण वह आयोजन की चिंता करने लगे और चिंता में पूरी रात जागते रहे। फिर उन्होंने सब कुछ माता रानी पर छोड़ दिया। सुबह होने पर सब लोग वहां प्रसाद ग्रहण करने के लिए आने लगे। जिसके बाद उन्होंने देखा कि वैष्णो देवी के रूप में एक छोटी सी कन्या उनकी कुटिया में पधारी और उनके साथ भंडारा तैयार किया फिर पूरे गांव वालों ने इस प्रसाद को ग्रहण किया। इस भंडारे में माता रानी के कहने पर श्रीधर ने भैरव को भी बुलाया था।'''                                                                                                                       ''' ======
 
इस भंडारे को ग्रहण करने के बाद सभी गांव वालों को बहुत संतुष्टि मिली लेकिन भैरव को इस भंडारे से कोई संतुष्टि नहीं मिली क्योंकि भैरव को मांस मदिरा जो खाना था। भैरव ने श्रीधर को मांस मदिरा लाने को कहा दिव्य कन्या के रूप में आई माता रानी ने भैरव को मांस मदिरा देने से इंकार कर दिया।माता रानी ने कहा कि जो भंडारे में बना है। उसको वही खाना होगा इसी बात पर गुस्सा होने पर भैरव ने माता के हाथ को गुस्से में पकड़ लिया जैसे ही उसने अपने माता के हाथ को पकड़ा वह दिव्य कन्या वहां से विलुप्त हो गई। इस घटना से श्रीधर को बहुत दुख हुआ।
1 जनवरी 2022 को दरगाह के गेट नंबर 3 के पास मची भगदड़ में 12 लोग मारे गए और 16 अन्य घायल हो गए। <ref>{{Cite web|url=https://www.newindianexpress.com/nation/2022/jan/01/vaishno-devi-stampedescuffle-between-2-groups-claimed-as-cause-probe-panel-to-submit-report-within-a-week-2402048.html|title=Vaishno Devi Stampede: Scuffle between 2 groups claimed as cause; probe panel to submit report within a week|website=The New Indian Express|access-date=2022-01-01}}</ref> <ref>{{Cite news|url=https://www.reuters.com/world/india/least-12-killed-stampede-religious-shrine-india-kashmir-2022-01-01/|title=At least 12 killed in stampede at religious shrine in India Kashmir|date=2022-01-01|work=Reuters|access-date=2022-01-01|language=en}}</ref>
 
श्रीधर ने अपनी माता रानी के दर्शन करने की लालसा जताई ।उसके बाद एक रात वैष्णो माता ने श्रीधर को सपने में दर्शन थे। और उन्हें त्रिकूट पर्वत पर एक गुफा का रास्ता दिखाया। 9 माह तक वैष्णो माता त्रिकूट पर्वत पर भैरव से छुप कर रही थी। 9 माह पूरे होने के बाद माता वैष्णो देवी ने त्रिकूट पर्वत पर भैरव का अंत किया था। जिसमें उनका प्राचीन मंदिर है। बाद में यह मंदिर दुनिया भर में माता वैष्णो देवी के नाम से जाना जाने लगा।<ref>{{cite web |last1=Rajput |first1=Preeti |title=माता वैष्णो देवी कैसे प्रकट हुई. यहां पड़े मंदिर का इतिहास वह जाने माता वैष्णो देवी की महिमा - Vaishno Mata |url=https://vaishnomata.in/mata-vaishno-devi-story/ |website=Vaishno Mata |access-date=12 July 2023 |date=1 July 2023}}</ref>[[File:Bhairav_Mandir.jpg|दाएँ|अंगूठाकार|भैरों नाथ मंदिर, जहां भैरों नाथ का सिर पहाड़ी पर गिरा था]]
== देवी-देवताएं ==