"गुर्जर-प्रतिहार राजवंश": अवतरणों में अंतर
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[[पृथ्वीराज रासो]] की परवर्ती पांडुलिपियों में वर्णित [[अग्निवंशी|अग्निवंश सिद्धांत]] के अनुसार प्रतिहार तथा तीन अन्य [[राजपूत]] राजवंशों की उत्पत्ति अर्बुद पर्वत (वर्तमान [[माउंट आबू]]) पर एक यज्ञ के अग्निकुंड से हुई थी। अध्येता इस कथा की व्याख्या इनके हिंदू वर्ण व्यवस्था में यज्ञोपरांत शामिल होने के रूप में करते हैं।{{sfn|Yadava|1982|p=35}} वैसे भी यह कथा पृथ्वीराज रासो की पूर्ववर्ती प्रतियों में नहीं मिलती और माना जाता है कि यह मिथक एक परमार कथा पर आधारित है और इसका उद्देश्य मुगलों के विरुद्ध राजपूतों को एकजुट करना था, इस दौर में वे अपनी उत्पत्ति के लिए महिमामंडित वंशों का दावा कर रहे थे।{{sfn|Singh|1964|pp=17-18}}
नाम से इस वंश के सम्राट भट्ट ब्राह्मण भी हो सकतें हैं ।
बाद के सम्राट उदाहरण के रुप में मिहिर भोज व अन्यों ने धार्मिक ऋतीयों से अपनी जाती को बदलकर वे क्षत्रिय वर्ण के बन गए होंगें ।
== इतिहास ==
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