"कामाख्या मन्दिर": अवतरणों में अंतर

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==कामाख्या मंदिर मे योनि(गर्भ) की पूजा==
 
पौराणिक कथा के अनुसार जब देवी सती अपने योगशक्ति से अपना देह त्याग दी तो भगवान शिव उनको लेकर घूमने लगे उसके बाद भगवान विष्णु ने अपने चक्र से उनकेउनका देह को 51 टुकड़ों में काट दिया।<ref>{{cite web |last1=Rajput |first1=Preeti |title=कामाख्या मंदिर में छुपे हैं कुछ रहस्य । Kamakhya Devi Temple - Vaishno Mata |url=https://vaishnomata.in/kamakhya-temple/ |website=Vaishno Mata |access-date=14 July 2023 |date=14 Julyकाटते 2023}}</ref>गए तो नीलाचल पहाड़ी में भगवती [[सती (हिंदू देवी) | सती]] की योनि (गर्भ) गिर गई, और उस योनि (गर्भ) ने एक देवी का रूप धारण किया, जिसे देवी कामाख्या कहा जाता है। योनी (गर्भ) वह जगह है जहां बच्चे को 9 महीने तक पाला जाता है और यहीं से बच्चा इस दुनिया में प्रवेश करता है। और इसी को सृष्टि की उत्पत्ति का कारण माना जाता है। भक्त यहां देवी सती की गिरी हुई योनि (गर्भ) की पूजा करने के लिए आते हैं जो देवी कामाख्या के रूप में हैं और दुनिया के निर्माण और पालन-पोषण के कारण देवी सती के गर्भ की पूजा करते हैं। जिस प्रकार मनुष्य अपने माँ की योनि (गर्भ) से जन्म लेता है, लोगो की मान्यता है उसी प्रकार जगत की माँ देवी सती की योनि से संसार की उत्पत्ति हुई है जो कामाख्या देवी के रूप में है।<ref>https:/ /www.boldsky.com/yoga-spirituality/faith-mysticism/2014/ambubasi-when-mother-earth-menstruates-041120.html</ref>
 
== कामाख्या मंदिर का समय ==