कुछ इतिहासकार [[कुषाण|कुषाणों]] को गुर्जर बताते हैं तथा [[कनिष्क]] के [[रबातक शिलालेख]] पर अंकित 'गुसुर' को गुर्जर का ही एक रूप बताते हैं। उनका मानना है कि गुशुर या गुर्जर लोग विजेता के रूप में भारत में आये क्योंकि गुशुर का अर्थ 'उच्च कुलीन' होता है।<ref name="ref58vehaf">[http://books.google.co.in/books?id=HPa5TwBTd8oC&pg=PA94&dq Bharatiya Samantvaad], Ramsharan Sharma, राजकमल प्रकाशन</ref>.
== गुर्जर साम्राज्य ==
इतिहास के अनुसार ५वी सदी में [[भीनमाल]] गुर्जर सम्राज्य की राजधानी थी तथा इसकी स्थापना गुर्जरो ने की थी। [[भरुच]] का सम्राज्य भी गुर्जरो के अधीन था। चीनी यात्री [[ह्वेन्सान्ग]] अपने लेखो में गुर्जर सम्राज्य का उल्लेख करता है तथा इसे 'kiu-che-lo' बोलता है।<ref name="ref06vefid">[http://persian.packhum.org/persian/index.jsp?serv=pf&file=80201011&ct=90 Juzr or Jurz] {{Webarchive|url=https://web.archive.org/web/20070929130741/http://persian.packhum.org/persian/index.jsp?serv=pf&file=80201011&ct=90 |date=29 सितंबर 2007 }}, Persian Texts in Translation, The Packard Humanities Institute, Accessed 2007-05-31</ref> छठी से १२वीं सदी में गुर्जर कई जगह सत्ता में थे। [[गुर्जर प्रतिहार राजवंश]] की सत्ता [[कन्नौज]] से लेकर [[बिहार]], [[उत्तर प्रदेश]], [[महाराष्ट्र]] और [[गुजरात]] तक फैली थी। [[मिहिरभोज]] को गुर्जर-प्रतिहार वंश का बड़ा शासक माना जाता है और इनकी लड़ाई [[बंगाल]] के [[पाल वंश]] और दक्षिण-भारत के [[राष्ट्रकूट]] शासकों से होती रहती थी। १२वीं सदी के पहले ही प्रतिहार वंश का पतन होना शुरू हुआ और ये कई राजवंशों में बँट गए जैसे कि ([[चौहान वंश]], [[सोलंकी वंश]], [[चन्देल|चंदीला]] और [[परमार वंश]])|<ref>https://gujaratindia.gov.in/about-gujarat/history-1.htm {{Webarchive|url=https://web.archive.org/web/20190219015743/https://gujaratindia.gov.in/about-gujarat/history-1.htm |date=19 फ़रवरी 2019 }} |title=Chaulukya (Solanki), paramaras dynasty of Gurjar Pratihar}}</ref><ref>{{Cite book|url=https://books.google.co.in/books?id=LPsvytmN3mUC&lpg=PA182&dq=chhokar%20clan&pg=PA309#v=onepage&q=chhokar%20clan&f=false|title= origin of gurjars page 310 to 311: A.-K|date=1997|publisher=Atlantic [Publishers & Dist|isbn=978-81-85297-69-9|language=en}}</ref> अरब आक्रान्तो ने गुर्जरों की शक्ति तथा प्रशासन की अपने अभिलेखों में पूरी-पूरी प्रशंसा की है।<ref name="ref64libuj">[http://books.google.co.in/books?id=3aeQqmcXBhoC&pg=PA195&dq India: a history], John Keay, Grove Press, Page 95, 2001, ISBN 978-0-8021-3797-5</ref><ref name="bharat ka itihas">[https://books.google.co.in/books?id=23NSDwAAQBAJ&pg=PA46&lpg=PA46&dq=ncert+gurjara+vansh&source=bl&ots=5oG59AuvXw&sig=ACfU3U1ra9SufbS89Ay4Hw3PlmH0ZlszJQ&hl=en&sa=X&ved=2ahUKEwiKlrrQysLtAhVsyzgGHbQwAWgQ6AEwFXoECAUQAg#v=onepage&q=ncert%20gurjara%20vansh&f=false], smart choice publication, Page 49, based on NCERT, ISBN 978-0-8021-3797-5</ref>
इतिहासकार बताते हैं कि मुगल काल से पहले तक लगभग पूरा [[राजस्थान]] तथा [[गुजरात]], 'गुर्जरत्रा' (गुर्जरो से रक्षित देश) या गुर्जर-भूमि के नाम से जाना जाता था।<ref name="Ramesh Chandra Majumdar 1977 153">{{cite book|title=The History and Culture of the Indian People: The classical age|author=Ramesh Chandra Majumdar|coauthor=Achut Dattatrya Pusalker, A. K. Majumdar, Dilip Kumar Ghose, Vishvanath Govind Dighe, Bharatiya Vidya Bhavan|publisher=Bharatiya Vidya Bhavan|year=1977|page=153}}</ref>[[अरब]] लेखकों के अनुसार गुर्जर उनके सबसे भयंकर शत्रु थे। उन्होंने ये भी कहा है कि अगर गुर्जर नहीं होते तो वो भारत पर १२वीं सदी से पहले ही अधिकार कर लेते।<ref name="ref64libuj"/>
१८वी सदी में भी गुर्जरो के कुछ छोटे छोटे राज्य थे। दादरी के गुर्जर राजा, दरगाही सिंह के अधीन १३३ ग्राम थे। [[मेरठ]] का राजा गुर्जर नैन सिंह था तथा उन्होंने परिक्शित गढ का पुन्रनिर्माण करवाया था। भारत गजीटेयर के अनुसार [[१८५७ का प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम]] मे गुर्जर ब्रिटिश के बहुत बुरे दुश्मन साबित हुए। गुर्जरो का [[1857|१८५७]] की क्रान्ति में भी अहम योगदान रहा है। कोतवाल [[धन सिंह गुर्जर]] [[1857|१८५७]] की क्रान्ति के शहीद थे।<ref>[https://books.google.co.in/books?id=vRwS6FmS2g0C&pg=PA234&dq=gujjars+in+british+reign&hl=en&sa=X&ved=2ahUKEwiJo9bj8MLtAhV363MBHeTUAe8Q6AEwAHoECAAQAg#v=onepage&q=gujjars%20in%20british%20reign&f=false 1857 का युद्ध],Book=Martial races of undivided India,Page 234,language=en</ref><ref name="Ramesh Chandra Majumdar 1977 153"/>[[पन्ना धाय]] जैसी वीरांगना पैदा हुई, जिसने अपने बेटे चन्दन का बलिदान देकर [[उदय सिंह]] के प्राण बचाए| बिशलदेव गुर्जर बैसला ([[अजमेर]] शहर के संस्थापक) जैसे राजा हुए जिन्होने संभवत: वीं शताब्दी में अजमेर पर शासन किया था और साथ ही अरब घुसपैठ का सफलतापूर्वक प्रतिरोध किया और [[तोमर वंश]] के गुर्जरों को दिल्ली पर नियंत्रण पाने में मदद की।,<ref>[http://www.theindianportrait.com/artwork/maharaja-bisal-dev-warrior-king-of-ajmer/ |title=Bisel dev king of ajmer helped Gurjars of tomar clan]</ref> [[देवनारायण]] [[चौहान वंश|चौहान]] राजवंश के [[नाग वंश|नाग वंशीय]] [[गुर्जर|क्षत्रिय]] [[गुर्जर]] जैसे राजा हुए जिनका मूल स्थान वर्तमान में [[अजमेर]] के निकट नाग पहाड़ था।<ref>[https://www.indianculture.gov.in/node/2686421 |title=Devnarayan g a warrior of Gurjar community]</ref>, [[विजय सिंह पथिक]] जैसे क्रांतिकारी नेता हुए जो राजा-महाराजा किसानो को लूटा करते थे, उनके खिलाफ आँदोलन चलाकर उन्होंने किसानो को मजबूत किया। मोतीराम बैसला जैसे पराक्रमि हुए जिन्होने मुगलो को आगरा में ही रोक दिया{{cn}}। धन सिंह जी कोतवाल हुए, जिन्होंने सबसे पहले मेरठ में अंग्रेजों से लड़ने का विगुल बजाया, [[सरदार वल्लभ भाई पटेल]] जैसे महापुरुष पैदा हुए, जिन्होंने पूरे देश के राजा-महाराजो की विरासत को एक करके नवभारत का निर्माण किया। इस देश की रक्षा के लिए इस '''वीर गुर्जर''' जाति ने लाखो बच्चो की कुर्बानियाँ दी थी, अंग्रेजों की नाक में नकेल कसने वाले गुर्जरों को अंग्रेजों ने क्रिमिनल ट्राइब (यानी बदमाश समुदाय) कह कर पुकारा था। इसलिए उस वक़्त अंग्रेज़ों की सरकार ने गुर्जरों को [[बागी]] घोषित कर दिया था, इसी वजह से गुर्जर जंगलों और पहाड़ों में रहने लगे और इसी वजह गुर्जर पढाई-लिखाई से वंचित रह गये।<ref name="ref06vefid"/>.
== स्रोत ==
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