"उर": अवतरणों में अंतर
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* कैसे निज सोये भाग को कोई सकता है जगा, जो निज भाषा-अनुराग का अंकुर नहिं ''उर'' में उगा।
* मोर मुकुट कटि काछनी कर मुरली ''उर'' माल।
* बान लग्यो ''उर'' लछिमन के तब
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