"इस्लाम में तलाक़": अवतरणों में अंतर

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'''इस्लाम में तलाक़ और हलाला''' एक प्रकिया है जिसमें निकाह की शर्तों को मानने वाले दंपती अलग होते हैं। तलाक़ होने के बाद वे एक दूसरे के पति पत्नी नहीं रह जाते हैं।हैं अगर दुबारा पति पत्नी बनना है तो पहले लड़की को हलाला करवाना होता है जो लड़के का बाप अपनी बहु के साथ करता है मतलब लड़के का बाप अपने बहु को एक दिन के लिए पत्नी बनाकर उसके जिस्म की गर्मी को शांत करता है तब जा के दुबारा पत्नी योग्य होगी। इस्लाम में कहा जाता है एक पुरूष और एक स्त्री की अपनी आज़ाद मर्ज़ी से एक दूसरें के साथ पति और पत्नी के रूप में रहने का फ़ैसला ज़िम्मेदारियों को उठाने की शपथ लें, एक निश्चित रकम जो आपसी बातचीत से तय हो, [[महर]] के रूप में औरत को दें और इस नये सम्बन्ध की समाज में घोषणा हो जाये। इस्लाम में इसके बिना किसी मर्द और औरत का साथ रहना और यौन सम्बन्ध स्थापित करना गलत, बल्कि एक बड़ा अपराध हैं।
 
== प्रक्रिया ==