"उच्चारण स्थान": अवतरणों में अंतर
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[[स्वनविज्ञान]] के सन्दर्भ में, [[मानव मुख|मुख गुहा]] के उन 'लगभग अचल' स्थानों को '''उच्चारण बिन्दु''' (articulation point या place of articulation) कहते हैं जिनको 'चल वस्तुएँ' छूकर जब ध्वनि मार्ग में बाधा डालती हैं तो उन व्यंजनों का उच्चारण होता है। उत्पन्न व्यंजन की विशिष्ट प्रकृति मुख्यतः तीन बातों पर निर्भर करती है- उच्चारण स्थान, उच्चारण विधि और स्वनन (फोनेशन)। मुख गुहा में 'अचल उच्चारक' मुख्यतः मुखगुहा की छत का कोई भाग होता है जबकि 'चल उच्चारक' मुख्यतः जिह्वा, नीचे वाला ओठ, तथा श्वासद्वार (ग्लोटिस) हैं।
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==हिन्दी व्यंजनों का वर्गीकरण==
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