"प्रतापराव गूजर": अवतरणों में अंतर

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अंग्रेज दुभाषिए नारायण शेणवी के 4 अप्रैल, 1674 के एक पत्र में दर्ज है कि इस युद्ध में प्रतापराव गूजर के साथ छह और वीरों की मृत्यु हुई। अन्य छह नायकों के नाम किसी विश्वसनीय स्रोत में नहीं मिल सकते। <ref>[https://archive.org/details/EnglishFactoryRecordsOnShivaji-1659To1682/page/n377/mode/2up]</ref>
 
मराठों के इतिहास में एक नया इतिहास रचा गया। जब यह सब महाराज के कानों में पड़ा तो महाराज उदास हो गए। नेसरी की यह लड़ाई 24 फरवरी 1674 को हुई थी। इस अवसर पर गंकोकिला लता मंगेशकर की वाणी में "वेदत मराठे वीर दौड़ले सात" कविता प्रसिद्ध है। मशहूर लेखक श्रीडेमोक्रेट बशीर मोमीनमोमिन कवठेकरकवथेकर ने 'वेडातवेदत मराठे वीर दौड़े सात' नामक एक मराठी नाटक लिखा है जिसे, 'मळगंगा नाट्य निकेतन' द्वारा मई १९७७ मे प्रस्तुत किया गया<ref>[https://www.lokmat.com/pune/senior-literary-b-k-momin-passed-away-fifty-years-contribution-literary-world-a607/ ज्येष्ठ साहित्यिक बी. के. मोमीन कवठेकर काळाच्या पडद्याआड; साहित्य विश्वाला पन्नास वर्षांचे योगदान ] "दै.[[लोकमत]]<nowiki/>”,पुणे, 12-Nov-2021</ref> नामक एक व्यावसायिक नाटक लिखा और बाद में इसे एक मंचीय नाटक में रूपांतरित किया, जिसे ग्रामीण महाराष्ट्र में विभिन्न तमाशा फदों द्वारा लोकप्रिय बनाया गया था।
 
== समाधि ==