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== उत्पत्ति ==
गुर्जर अभिलेखो के हिसाब से ये [[सूर्यवंशी]] या [[रघुवंश|रघुवंशी]] हैं। प्राचीन महाकवि [[राजशेखर]] ने गुर्जरों को 'रघुकुल-तिलक' तथा 'रघुग्रामिणी' कहा है।<ref name="ref99lomof">[http://books.google.co.in/books?id=gUAvuYu-otEC&pg=PA64&dq Some aspects of ancient Indian culture], Devadatta Ramakrishna Bhandarkar, Asian Educational Services, Page 64, 1989, ISBN 978-81-206-0457-5</ref> ७ वी से १० वी शतब्दी के गुर्जर शिलालेखो पर सुर्यदेव की कलाकृतियाँ भी इनके सुर्यवंशी होने की पुष्टि करती हैं।<ref name="ref93rafah">[http://books.google.com/books?id=A00VAAAAMAAJ Sun-worship in ancient India], Lalta Prasad Pandey, Motilal Banarasidass, Page 245, 1971</ref> [[राजस्थान]] में आज भी गुर्जरों को सम्मान से 'मिहिर' बोलते हैं, जिसका अर्थ '[[सूर्य]]' होता है<ref>Gazetteer of the Bombay Presidency, Volume 9, Part 1, Bombay (India : State), Govt. Central Press, Page 479, 1901</ref><ref name="ref87doqeb">Śri Śaṅkara Bhagavatpādācārya's Saundaryalaharī, Chandrasekharendra Saraswati (Jagatguru Sankaracharya of Kamakoti), Bharatiya Vidya Bhavan, Page 339, 2001</ref> कुछ इतिहासकारों के अनुसार गुर्जर [[मध्य एशिया]] के [[कॉकस क्षेत्र]] (अभी के [[आर्मेनिया]] और [[जॉर्जिया]]) से आए [[आर्य|हूण]] योद्धा थे। कुछ विद्वान इन्हे विदेशी भी बताते हैं क्योंकि गुर्जरों का नाम एक अभिलेख में [[हूण|हूणों]] के साथ मिलता है, परन्तु इसका कोई एतिहासिक प्रमाण नहीं है।
 
 
कुछ इतिहासकार [[कुषाण|कुषाणों]] को गुर्जर बताते हैं तथा [[कनिष्क]] के [[रबातक शिलालेख]] पर अंकित 'गुसुर' को गुर्जर का ही एक रूप बताते हैं। उनका मानना है कि गुशुर या गुर्जर लोग विजेता के रूप में भारत में आये क्योंकि गुशुर का अर्थ 'उच्च कुलीन' होता है।<ref name="ref58vehaf">[http://books.google.co.in/books?id=HPa5TwBTd8oC&pg=PA94&dq Bharatiya Samantvaad], Ramsharan Sharma, राजकमल प्रकाशन</ref>. परन्तु इसका कोई ऐतिहासिक प्रमाण नहीं है कुषाणों का इतिहास देखा जाए तो वे चीन की यूची जाति के लोग थे जो की विदेशी थे अत: कुषाण विदेशी सिद्ध होते हैं।
 
== स्रोत ==