"कीनियाई भारतीय": अवतरणों में अंतर

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== इतिहास ==
भारतीयों ने आधुनिक कीनिया में प्रव्रजन 1896 से 1901 के बीच [[युगाण्डा|युगांडा]] रेलवे के निर्माण के साथ आरम्भ किया, जब लगभग 32,000 गिरमिटिया मजदूरों को [[ब्रिटिश भारत के प्रेसीडेंसी और प्रांत|ब्रिटिश भारत]] से इस परियोजना के लिए विशेष रूप से पूर्वी अफ़्रीका लाया गया था। यह रेलवे अभियांत्रिकी की उल्लेखनीय उपलब्धि साबित हुई, परन्तु इसकी वजह से 2,500 या हर एक मील ट्रैक बिछाने में चार मजदूरों की मृत्यु हुई।<ref name="BBC">{{cite news | url=http://news.bbc.co.uk/2/hi/africa/762515.stm | title=Kenya's Asian heritage on display | date=24 मई 2000 | accessdate=5 सितम्बर 2013 | publisher=[[बीबीसी|बीबीसी न्यूज़]] | language=अंग्रेज़ी | archive-url=https://web.archive.org/web/20130928151943/http://news.bbc.co.uk/2/hi/africa/762515.stm | archive-date=28 सितंबर 2013 | url-status=live }}</ref>
Early history
 
Vasco da Gama recorded encountering Indian merchants along the coast of east Africa in the late 15th century. In Malindi he obtained the service of a Gujarati speaking sailor to navigate ships across the Indian
रेलवे के निर्माण के पश्चात इनमें से कई मजदूरों ने यहीं बसने का निर्णय लिया और अपने परिवारों को भारत से तब के पूर्वी अफ़्रीकी संरक्षित राज्य में ले आए। ये शुरुआती आबादकार मुख्य रूप से भारत के [[गुजरात]] और [[पंजाब (भारत)|पंजाब]] राज्यों के मूल निवासी थे। रेलवे के निर्माण के कारण राज्य के अंदरुनी क्षेत्र भी व्यापार के लिए उपलब्ध हो गए और कई तटीय शहरों को छोड़ कर उधर जाने लगे। अधिकतर ने नैरोबी को अपना घर बनाया जो 1905 से ब्रिटिश संरक्षित राज्य की राजधानी थी। काले अफ़्रीकी मूल निवासियों की तुलना में भारतीयों को नैरोबी में रहने की कानूनी तौर पर अनुमति थी, जो कि उस समय तेजी से बढ़ता सफ़ेद आबादकारों का नगर था।<ref name="Hake1977">{{cite book|last=हेक|first=एंड्रयू|title=African Metropolis: Nairobi's Self-Help City|url=http://books.google.com/books?id=kffZAAAAMAAJ|accessdate=5 सितम्बर 2013|year=1977|publisher=ससेक्स यूनिवर्सिटी प्रेस|isbn=978-0-85621-066-2}}</ref>