"हज़रत निज़ामुद्दीन": अवतरणों में अंतर

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निज़ामुद्दीन औलिया ने, अपने पूर्ववर्तियों की तरह, ईश्वर को महसूस करने के साधन के रूप में प्रेम पर जोर दिया। उनके लिए ईश्वर के प्रति प्रेम का अर्थ मानवता के प्रति प्रेम था। दुनिया के बारे में उनका दृष्टिकोण धार्मिक बहुलवाद और दयालुता की अत्यधिक विकसित भावना से चिह्नित था।<ref>भक्ति पोएट्री इन मीडिवल इंडिया, नीती ऍम्‌. सदरंगनी, पृष्ठ 63</ref> 14वीं शताब्दी के इतिहासकार [[ज़ियाउद्दीन बरनी]] का दावा है कि दिल्ली के मुसलमानों पर उनका प्रभाव इतना था कि सांसारिक मामलों के प्रति उनके दृष्टिकोण में एक आदर्श बदलाव आया। लोगों का झुकाव रहस्यवाद और प्रार्थनाओं की ओर होने लगा और वे दुनिया से अलग रहने लगे।<ref>{{cite book |title=Mystical Dimensions of Islam |url=https://archive.org/details/mysticaldimensio00schi |url-access=registration |first=Annemarie |last=Schimmel |author-link=Annemarie Schimmel |year=1975 |publisher=University of North Carolina Press |location=Chapel Hill |isbn=0-8078-1271-4 |page=[https://archive.org/details/mysticaldimensio00schi/page/348 348]}}</ref><ref>Amir Hasan Sijzi, Fawaid-ul-Fuad (Delhi, 1865), pp. 150, 195-97</ref><ref name=TheHindu>{{cite news|url=https://www.thehindu.com/features/metroplus/a-heritage-walk-through-three-chisti-shrines-in-new-delhi/article7568849.ece |title=An afternoon with the saints|author=Sudarshana Srinivasan|date=22 August 2015|newspaper=The Hindu|access-date=3 December 2021}}</ref> यह भी माना जाता है कि [[तुग़लक़ राजवंश]] के संस्थापक [[गयासुद्दीन तुग़लक़]] ने निज़ामुद्दीन से बातचीत की थी। प्रारंभ में, वे अच्छे संबंध साझा करते थे लेकिन जल्द ही इसमें कड़वाहट आ गई और ग़ियास-उद-दीन तुगलक और निज़ामुद्दीन औलिया के बीच मतभेद के कारण संबंध कभी नहीं सुधरे और उनकी दुश्मनी के कारण उस युग के दौरान उनके बीच नियमित झगड़े होते रहे।{{cn|date=March 2024}}
 
'''शेख नसिरुद्दीन''' चिराग देल्हवी,आणि अमीर खुसरो, प्रख्यात विद्वान/गायक आणि दिल्ली सल्तनतचे शाही कवी यांच्यासह त्यांच्या अनेक शिष्यांनी आध्यात्मिक उंची गाठली.3 एप्रिल 1325 रोजी सकाळी त्यांचे निधन झाले. त्यांचे मंदिर, निजामुद्दीन दर्गा,दिल्ली येथे आहे. आणि सध्याची रचना 1562 मध्ये बांधली गेली. वर्षभर सर्व धर्माचे लोक या मंदिराला भेट देतात, जरी ते निजामुद्दीन औलिया आणि अमीर खुसराव यांच्या पुण्यतिथी किंवा उर्सच्या वेळी विशेष मंडळीचे ठिकाण बनले आहे, ज्यांना देखील दफन करण्यात आले आहे. [[निजामुद्दीन]] दर्ग्यात.
 
== जीवनी ==
[[हज़रत]] ख्वाज़ा निज़ामुद्दीन [[औलिया]] का जन्म [[१२३८]] में [[उत्तरप्रदेश]] के [[बदायूँ]] जिले में हुआ था। ये पाँच वर्ष की उम्र में अपने पिता, अहमद बदायनी, की मॄत्यु के बाद अपनी माता<ref name=khus>{{Cite web |url=http://www.indiainfoweb.com/delhi/mosques/hazrat-nizamuddin-auliya-dargah.html |title=Nizamuddin Auliya |access-date=1 अप्रैल 2009 |archive-url=https://web.archive.org/web/20080609034448/http://www.indiainfoweb.com/delhi/mosques/hazrat-nizamuddin-auliya-dargah.html |archive-date=9 जून 2008 |url-status=dead }}</ref>, बीबी ज़ुलेखा के साथ दिल्ली में आए। इनकी जीवनी का उल्लेख [[आइन-ए-अकबरी]], एक १६वीं शताब्दी के लिखित प्रमाण में अंकित है, जो कि [[मुगल सम्राट]] [[अकबर]] के एक नवरत्न मंत्री ने लिखा था<ref name="ain">[http://persian.packhum.org/persian/main?url=pf%3Ffile%3D00702015%26ct%3D50%26rqs%3D666 Nizamuddin Auliya] {{Webarchive|url=https://web.archive.org/web/20110727161648/http://persian.packhum.org/persian/main?url=pf%3Ffile=00702015&ct=50&rqs=666 |date=27 जुलाई 2011 }} ''[[आइन-ए-अकबरी]]'', by [[अबू-अल-फ़ज़्ल इब्न मुबारक]], इसका अंग्रेजी अनुवाद “एच. ब्लोक्मैन” और “कर्नल एच.एस.जारेट” ने १८७३-१९०७ में किया। [[Asiatic Society of Bengal|The Asiatic Society of Bengal]], [[Calcutta]], Volume III, Saints of India. (Awliyá-i-Hind), page 365. "बहुतों ने उनके निर्देशन में आध्यात्मिक ऊँचाईयों को छुआ जैसे: शेख नसीरुद्दीन मोहम्मद चिरागी दिल्ली,[[अमीर खुसरो|मीर खुसरो]], शेख अलॉल हक्क, शेख अखी सिराज, [[बंगाल]] में, शेख वजिहूद्दीन यूसुफ़ [[चँदेरी|चँदेरीमें]]में, शेख याकुब और शेख कमाल [[माल्वाह|माल्वाहमें]]में, मौलना घियास धर में, मौलाना मुघिस उजैन में, हुसैन गुजरात में, शेख बर्हानुद्दीन गरीब, शेख मुन्ताखब, ख्वाब हस्सन [[डेक्कन|डेखां]] में "</ref>.
१२६९ में जब निज़ामुद्दीन २० वर्ष के थे, वह अजोधर (जिसे आजकल [[पाकपट्टन]] शरीफ, जो कि पाकिस्तान में स्थित है) पहुँचे और सूफी संत [[फ़रीदुद्दीन गंजशकर|फरीद्दुद्दीन गंज-इ-शक्कर]] के शिष्य बन गये, जिन्हें सामान्यतः [[बाबा फरीद]] के नाम से जाना जाता था। निज़ामुद्दीन ने अजोधन को अपना निवास स्थान तो नहीं बनाया पर वहाँ पर अपनी आध्यात्मिक पढाई जारी रखी, साथ ही साथ उन्होंने दिल्ली में सूफी अभ्यास जारी रखा। वह हर वर्ष रमज़ान के महीने में बाबा फरीद के साथ [[पाकपत्तन|अजोधान]] में अपना समय बिताते थे। इनके [[पाकपत्तन|अजोधान]] के तीसरे दौरे में बाबा फरीद ने इन्हें अपना उत्तराधिकारी नियुक्त किया, वहाँ से वापसी के साथ ही उन्हें बाबा फरीद के देहान्त की खबर मिली।
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इनके बहुत से शिष्यों को आध्यात्मिक ऊँचाई की प्राप्त हुई, जिनमें ’ [[नसीरुद्दीन चिराग़ देहलवी|शेख नसीरुद्दीन मोहम्मद चिराग़-ए-दिल्ली]]”
<ref>[http://timesofindia.indiatimes.com/Opinion/Editorial/In_The_Name_Of_Faith/rssarticleshow/msid-1922531,curpg-2.cms In The Name Of Faith] {{Webarchive|url=https://web.archive.org/web/20181110084151/https://timesofindia.indiatimes.com/Opinion/Editorial/In_The_Name_Of_Faith/rssarticleshow/msid-1922531,curpg-2.cms |date=10 नवंबर 2018 }} ''[[द टाइम्स ऑफ़ इण्डिया]]'', [[April 19]], [[2007]].</ref>,
“[[अमीर खुसरो]]”<ref name=ain/>, जो कि विख्यात विद्या ख्याल/संगीतकार और [[दिल्ली सलतनत]] के शाही कवि के नाम से प्रसिद्ध थे।
 
इनकी मृत्यु ३ अप्रेल १३२५ को हुई। इनकी दरगाह, [[हज़रत निज़ामुद्दीन दरगाह]] दिल्ली में स्थित है।<ref>[http://wikimapia.org/#lat=28.5904003&lon=77.2446585&z=16&l=0&m=a&v=2&show=/369452/%D8%B1%D9%88%D8%B6%D9%87-%D8%AD%D8%B6%D8%B1%D8%AA-%D9%86%D8%B8%D8%A7%D9%85-%D8%A7%D9%84%D8%AF%D9%8A%D9%86-%D9%88-%D8%A7%D9%85%D9%8A%D8%B1-%D8%AE%D8%B3%D8%B1%D9%88Tomb-of-Kh-Nizamuddin-Aulia Nizamuddin Dargah - Location] {{Webarchive|url=https://web.archive.org/web/20110826041141/http://www.wikimapia.org/#lat=28.5904003&lon=77.2446585&z=16&l=0&m=a&v=2&show=/369452/%D8%B1%D9%88%D8%B6%D9%87-%D8%AD%D8%B6%D8%B1%D8%AA-%D9%86%D8%B8%D8%A7%D9%85-%D8%A7%D9%84%D8%AF%D9%8A%D9%86-%D9%88-%D8%A7%D9%85%D9%8A%D8%B1-%D8%AE%D8%B3%D8%B1%D9%88Tomb-of-Kh-Nizamuddin-Aulia |date=26 अगस्त 2011 }} ''[[Wikimapia]]''.</ref>
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