"सूरदास": अवतरणों में अंतर
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जन्म - महाकवि श्री सूरदास जी का जन्म 1478 ई में रुनकता क्षेत्र में हुआ था| यह गाँव [[मथुरा]]-[[आगरा]] मार्ग के किनारे स्थित है। कुछ विद्वानों का मत है कि सूरदास का जन्म हरियाणा के फरीदाबाद के सीही गांव नामक ग्राम मे निर्धन सारस्वत [[ब्राह्मण]] परिवार में हुआ था। वह बहुत विद्वान थे, उनकी लोग आज भी चर्चा करते हैं। वे [[मथुरा ज़िला|मथुरा]] के बीच गऊघाट पर आकर रहने लगे थे। सूरदास के पिता, '''रामदास सारस्वत'''<ref>{{Cite web|url=https://www.punjabkesari.in/dharm/news/religious-concept-about-ramdas-bairagi-1400406|title=क्या रामदास सारस्वत थे कृष्ण भक्त सूरदास जी के पिता?|date=2021-06-13|website=Punjabkesari|access-date=2021-06-14}}</ref> प्रसिद्ध गायक थे। सूरदास के जन्मांध होने के विषय में अनेक मत है, प्रारंभ में सूरदास आगरा के समीप गऊघाट पर रहते थे। वहीं उनकी भेंट श्री [[वल्लभाचार्य]] से हुई और वे उनके शिष्य बन गए। वल्लभाचार्य ने उनको पुष्टिमार्ग में दीक्षित कर के कृष्णलीला के पद गाने का आदेश दिया। सूरदास की मृत्यु गोवर्धन के निकट पारसैली ग्राम में 1583 ईस्वी में हुई। <ref>{{Cite web|url=https://www.punjabkesari.in/dharm/news/surdas-jayanti-992918|title=सूरदास भगवान कृष्ण के बहुत बड़े भक्त थे।|last=|first=|date=|website=पंजाब केसरी|archive-url=|archive-date=|dead-url=|access-date=}}</ref>
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सूरदास की जन्मतिथि एवं जन्मस्थान के विषय में विद्वानों में मतभेद है। "साहित्य लहरी' सूर की लिखी रचना मानी जाती है। इसमें साहित्य लहरी के रचना-काल के सम्बन्ध में निम्न पद मिलता है -
:'''मुनि पुनि के रस लेख। '''
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