"झारखण्ड": अवतरणों में अंतर

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'''झारखण्ड''' या '''झाड़खण्ड''' [[भारत]] का एक [[राज्य]] है। [[राँची]] इसकी [[राजधानी]] है। झारखण्ड की सीमाएँ [[पूर्व]] में [[पश्चिम बंगाल]], [[पश्चिम]] में [[उत्तर प्रदेश]] एवं [[छत्तीसगढ़]], [[उत्तर]] में [[बिहार]], और [[दक्षिण]] में [[ओडिशा|ओड़िशा]] को छूती हैं। लगभग सम्पूर्ण प्रदेश [[छोटा नागपुर पठार|छोटानागपुर]] के पठार पर अवस्थित है। सम्पूर्ण भारत में वनों के अनुपात में प्रदेश एक अग्रणी [[राज्य]] माना जाता है। बिहार के दक्षिणी भाग को विभाजित कर झारखण्ड प्रदेश का [[सृजन]] किया गया था। इस प्रदेश के अन्य बड़े शहरों में [[धनबाद]], [[बोकारो]] एवं [[जमशेदपुर]] शामिल हैं।<ref>{{Cite news|url=https://www.prabhatkhabar.com/photos/birsa-munda-jayanti-2023-tribal-pride-day-15-november-jharkhand-foundation-day-bhagwan-birsa-birth-anniversary-mkh|title=भगवान बिरसा मुंडा की वंशावली|work=प्रभात खबर|access-date=27 नवंबर 2023}}</ref>
 
==नामकरण ==
विभिन्न [[इन्डो-आर्यन भाषा परिवार|इंडो-आर्यन भाषाओं]] में "झार" शब्द का अर्थ है 'जंगल' और "खण्ड" का अर्थ 'भूमि' है, इस प्रकार "झारखण्ड" का अर्थ वन भूमि है। "[[छोटा नागपुर पठार|छोटानागपुर पठार]]" में बसा होने के कारण इसे "''छोटानागपुर प्रदेश''" भी बोलते हैं। झारखण्ड को ''"जंगलों का प्रदेश"'' भी कहा जाता है। मुग़लमुगल काल में इस क्षेत्र को ''कुकरा'' नाम से जाना था। झारखण्ड के आदिवासियों के अनुसार, झारखण्ड दो शब्द "जाहेर" (सारना स्थल) और "खोण्ड" (वेदी) शब्दों से मिलकर बना है।
 
प्राचीन काल में, सुतिया नामक मुण्डा के शासनकाल में इसे "जाहेरखोण्ड" नाम से जाना जाता था। मध्यकाल में, इस क्षेत्र को झारखण्ड के नाम से जाना जाता था। [[भविष्य पुराण]] (1200 CE) के अनुसार, झारखण्ड सात [[पुण्ड्रवर्धन|पुण्ड्रा]] देश में से एक था। यह नाम पहली बार [[पूर्वी गंगवंश]] के नरसिंह देव द्वितीय के शासनकाल से [[ओडिशा]] क्षेत्र के केन्द्रपाड़ा में 13 वीं शताब्दी की ताम्बे की प्लेट पर पाया गया है। [[वैद्यनाथ मन्दिर, देवघर|बैधनाथ धाम]]<ref>{{Cite news|url=https://www.prabhatkhabar.com/state/jharkhand/deogarh/havan-kund-in-baba-baidyanath-dham-of-deoghar-no-one-allowed-to-enter-jbj|title=देवघर के बाबा बैद्यनाथ धाम में है हवन कुंड|work=प्रभात खबर|access-date=27 नवंबर 2023}}</ref> से [[पुरी]] तक की वन भूमि झारखण्ड के नाम से जानी जाती थी। [[अकबरनामा]] में, पूर्व में [[पंचेत]] से लेकर पश्चिम में [[रतनपुर, छत्तीसगढ़|रतनपुर]] तक, उत्तर में [[रोहतासगढ़]] और दक्षिण में [[ओडिशा]] की सीमा को झारखण्ड के रूप में जाना जाता था।