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==आदम की दुनिया में आने से पहले की जिंदगी==
सब से पहले आदम  को [[पृथ्वी|दुनिया]] में भेजा गया। ब्रह्मा जी को इन्सानों का बाप कहा जाता है।  दुनिया में जितने भी इन्सान शुरू से आख़िर तक आ चुके हैं ।
सब से पहले आदम  को [[पृथ्वी|दुनिया]] में भेजा गया। हज़रत आदम अलैहिस्सलाम को अबुलबशर यानि सब इन्सानों का बाप कहा जाता है।  दुनिया में जितने भी इन्सान शुरू से आख़िर तक आ चुके हैं या आयेंगे सब हज़रत आदम अलैहिस्सलाम की ही औलाद हैं इसी लिये इन्हें '''“[[आदमी]]”''' कहा जाता है। जब [[अल्लाह]] तआला ने हज़रत आदम अलैहिस्सलाम की पैदाइश का इरादा फ़रमाया और [[मलाइका|फरिश्तों]] से अर्ज़ किया कि मैं ज़मीन में अपना ख़लीफ़ा बनाने वाला हूँ उस वक़्त ज़मीन में [[जिन्न|जिन्नात]] रहते थे और [[शैतान|'''इब्लीस''']] की बादशाहत थी लिहाज़ा आपके बारे में कुछ बताने से पहले शैतान इब्लीस का ज़िक्र करना ज़रूरी है क्योंकि इस वाक़िये का शैतान से गहरा ताल्लुक़ है।<ref>{{Cite web |url=http://islamijankari.com/history/adam-1/ |title=संग्रहीत प्रति |access-date=22 अप्रैल 2020 |archive-url=https://web.archive.org/web/20191001114941/http://islamijankari.com/history/adam-1/ |archive-date=1 अक्तूबर 2019 |url-status=dead }}</ref>
 
{{Infobox person|honorific_prefix={{smaller|नबी}}|name='आदम|image=Adem (Adam)1.png|caption=आदम अलैहिस्सलाम का [[अरबी भाषा]] में लिखा गया नाम है : शांति उस पर हो।|title=नबी|successor=[[Idris (prophet)|इदरीस]] ([[Enoch (ancestor of Noah)|इनोच]])|spouse=[[Eve#Islamic view|हव्वा]] ({{lang|ar|حواء}})|children={{Plainlist|
* [[Cain and Abel in Islam|हाबील और क़ाबील]] ({{lang|ar|قابيل وهابيل}})
* [[Seth#Islam|सेथ]] ({{lang|ar|شِيث}})
}}}}{{इस्लामी पैगम्बर}}
 
सनातन धर्म के अनुसार, ईश्वर द्वारा बनाये गए पहले मानव थे। [[बाइबिल]] तथा [[कुरान]] में आदम की कहानी का उल्लेख कई बार मिलता है। तथा "मानव जाती के जनक" के रूप में उन्हें श्रध्येय रूप से देखा जाता है। तथा मानवता की जननी" के रूप से श्रद्धा भाव से देखा जाता है। इस्लामी मान्यता के अनुसार आदम और हव्वा दोनों इस्लाम का पालन करते थे, जो समय के साथ कम होता गया, जबतक [[मुहम्मद]] ने इस्लाम की धरती पर स्थापना नहीं की मोहम्मद साहब को मारने वाले कोई सनातन धर्म से नहीं था । मुसलमानो ने ही मोहम्मद साहब को मारा था । और कुरान के अनुसार इस्लाम कोई धर्म नहींहै । यह एक मजहब है जो कि कुछ चंद मौलवियों के द्वारा चलाया जाता है । साई और यहूदी धर्मों में आदम और हव्वा के ईश्वर के आदेश की अवहेलना कर, जन्नत से बहिष्कृत किये जाने की कहानी पर अत्यंत महत्त्व दिया गया है। यह कहानी कुरान में भी पायी जाती है।
[[चित्र:Adam_honoured_by_angels_-_persian_miniature_(c._1560).jpg|अंगूठाकार|एंजल्स द्वारा सम्मानित आदम - फारसी लघु चित्र(c. 1560)]]
[[कुरान]] में आदम [[अल्लाह]] द्वारा नाम दिया गया है जिसे (आदम-ए-सफी) या चुने हुए एक के नाम से जाना जाता है।
 
===इब्लीस-ए-लईनः-===
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===हज़रत हव्वा की पैदाइश===
 
जब फ़रिश्तों के सामने इब्लीस का घमण्ड ज़ाहिर हो गया और उस ने घमण्ड और सरकशी पर कमर बांध ली तो अल्लाह तआला ने उस पर लानत फ़रमाई आसमान और ज़मीन की हुकूमत उससे छीन ली और [[स्वर्ग|जन्नत]] की पहरेदारी से भी हटा दिया और फ़रमाया- '''“तू मरदूद है जन्नत से निकल जा अब क़यामत तक के लिए तुझ पर लानत है।”है। अर्थात कहने का तात्पर्य यह है कि सनातन धर्म ही सबका धर्म है मुसलमान कोई ऊपर से बनकर नहीं आया है बाद में उनकी सुन्नतहोती है खतना होता है तब कहीं मुसलमान बनता है अल्लाह में इतनी औकात नहीं है कि डायरेक्ट मुसलमान पैदा कर सके । और इस्लाम कोई धर्मनहीं है यह एक मजहब है ।'''
 
'''क'''
इस के बाद अल्लाह ने हज़रत आदम अलैहिस्सलाम को जन्नत में रहने का हुक्म फ़रमाया और इन पर ऊँघ डाल दी यानि उन पर नींद तारी हो गई। फिर इन की बायीं पसली में से एक पसली लेकर हव्वा अलैहिस्सलाम को पैदा फ़रमाया। आदम अलैहिस्सलाम जब सोकर उठे तो अपने सिरहाने एक औरत को खड़ा देखा। उन्होंने पूछा- “तुम कौन हो”…. कहा- “एक औरत” ……. फिर पूछा – “किस लिए पैदा की गई हो” ……वो कहने लगीं- “ताकि तुम मुझ से सकून हासिल कर सको।”
 
कहने का तात्पर्य यह है कि सनातन धर्म ही हिंदू धर्म में इसके अलावा कोई भी धर्म नहींहै जिसे इस्लाम धर्म कहते हैं लोग वह धर्म नहीं एक मजहब है औरआल्हा में इतनी औकात नहीं है कि मुसलमान पैदा कर सके पहले हिंदू पैदा होते हैं बाद में उनकी सुन्नत होती है बाद में उनका खतना होता है तब कहीं मुसलमान बनते हैं
जब फ़रिश्तों को ख़बर हुई तो वो इस औरत को देखने आये और कहा ऐ आदम! इसका नाम क्या है? आदम अलैहिस्सलाम ने जवाब दिया- '''“हव्वा”''' इन्होंने फिर पूछा- “ये नाम क्यों रखा? कहा- "इसलिए की यह “हइ” यानि ज़िंदा इन्सान से पैदा की गई।”
 
इसऔर अल्लाह मेंइतनीइस के बाद अल्लाह ने हज़रत आदम अलैहिस्सलाम को जन्नत में रहने का हुक्म फ़रमाया और इन पर ऊँघ डाल दी यानि उन पर नींद तारी हो गई। फिर इन की बायीं पसली में से एक पसली लेकर हव्वा अलैहिस्सलाम को पैदा फ़रमाया। आदम अलैहिस्सलाम जब सोकर उठे तो अपने सिरहाने एक औरत को खड़ा देखा। उन्होंने पूछा- “तुम कौन हो”…. कहा- “एक औरत” ……. फिर पूछा – “किस लिए पैदा की गई हो” ……वो कहने लगीं- “ताकि तुम मुझ से सकून हासिल कर सको।”सक
इस के बाद अल्लाह तआला ने फरमाया-
 
'''“तुम और तुम्हारी बीवी जन्नत में रहो और जहाँ से चाहो ख़ूब दिल खोल कर खाओ लेकिन इस [[पेड़|दरख़्त]] के पास मत जाना कि हद से बढ़ने वालों में हो जाओगे”'''
 
([[सूरा|सूरह]] [[अल-बक़रा]], [[आयत (क़ुरआन)|आयात]] - 34 से 35)
 
अल्लाह तआला ने हज़रत आदम अलैहिस्सलाम और हव्वा अलैहिस्सलाम को जन्नत में ठिकाना अता फ़रमाया और उन्हें हर तरह की आज़ादी अता फ़रमाई सिवाय एक दरख़्त यानी वृक्ष के पास जाने के। उन्होंने अल्लाह के हुक्म के मुताबिक़ उस दरख़्त के पास जाने से ख़ुद को रोके रखा फिर इनके दिल में [[शैतान]] ने वसवसा डाला और आख़िर कार दोनों से वो खता(गलती) हो गई जिस से अल्लाह तआला ने उन्हें मना फ़रमाया था।
 
क़ुरआन पाक में अल्लाह तआला ने इरशाद फ़रमाया-
 
'''“तो शैतान ने इन्हें इस दरख़्त के ज़रिये फुसलाया और जहाँ वो रहते थे वहाँ से उन्हें अलग कर दिया और हमने फ़रमाया तुम सब नीचे उतरो।”'''
 
([[सूरा|सूरह]] [[अल-बक़रा]],[[आयत (क़ुरआन)|आयात]] - 36 से 37)
 
अभी फल खाना ही शुरू ही किया था कि जन्नती लिबास उतर गया और वह दोनों, पत्तों से अपना सतर ढाँपने और शर्मिन्दा होकर इधर उधर भागने लगे। अल्लाह तआला ने फ़रमाया, '''"ऐ आदम! क्या मुझ से भागते हो''' आदम ने अर्ज़(बोले) किया- “’नहीं” … “ऐ मेरे रब! बल्कि तुझ से हया करता हूँ। अल्लाह का अताब नाज़िल हुआ कि '''ऐ आदम! क्या मैंने तुमसे उस दरख़्त के पास जाने से मना नहीं किया था? क्या मैने तुम्हें ख़बरदार नहीं किया था कि शैतान तुम्हारा खुला दुश्मन है?''' हज़रत आदम अलैहिस्सलाम फ़ौरन अपनी ग़लती का अहसास करते हुए सजदे में गिर गए और नदामत से अर्ज़ करने लगे-
 
'''“ऐ परवरदिगार हम ने अपनी जानों पर ज़ुल्म किया और अगर आप ने अपने फ़ज़्ल व करम से हमे माफ़ न फ़रमाया और हम पर रहम न फ़रमाया तो हम ख़सारा(नुक़सान) उठाने वाले हो जायेंगे।”'''
 
([[सूरा|सूरह]] [[अल-आराफ़]] [[आयत (क़ुरआन)|आयत]] -23)
 
अल्लाह तआला जो सब के दिलों के हाल जानता है वह हज़रत आदम अलैहिस्सलाम के दिल की कैफ़ियत को अच्छी तरह जानता था। उसने आप को माफ़ फरमा दिया। लेकिन अल्लाह को आइन्दा के लिए दुनिया को आबाद करना था और नस्ले इन्सानी को बढ़ाना था इसलिए अल्लाह तआला ने हज़रत आदम अलैहिस्सलाम और हव्वा अलैहिस्सलाम को हुक्म दिया कि तुम ज़मीन पर उतर जाओ और वहीं पर रहो और यह बात हमेशा याद रखो कि- '''“शैतान तुम्हारा खुला दुश्मन है।”'''
 
==आदम अलैहिस्सलाम की दुनिया में आने के बाद की जिंदगी==
"https://hi.wikipedia.org/wiki/आदम" से प्राप्त