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शिव
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'शिव पुराण' का सम्बन्ध शैव मत से है। इस [[पुराण]] में प्रमुख रूप से [[शिव]]-भक्ति और शिव-महिमा का प्रचार-प्रसार किया गया है। प्रायः सभी पुराणों में शिव को त्याग, तपस्या, वात्सल्य तथा करुणा की मूर्ति बताया गया है। कहा गया है कि शिव सहज ही प्रसन्न हो जाने वाले एवं मनोवांछित फल देने वाले हैं। किन्तु 'शिव पुराण' में शिव के जीवन चरित्र<ref name="Awasthi 1974 p. ">{{cite book | last=Awasthi | first=V.B. | title=Rāmacaritamānasa para paurāṇika prabhāva | publisher=Dillī Pustaka Sadana | year=१९७४| url=http://books.google.co.in/books?id=Eu8hAAAAMAAJ | language=lv | accessdate=२७ मार्च २०२० | page=}}</ref> पर प्रकाश डालते हुए उनके रहन-सहन, विवाह और उनके पुत्रों की उत्पत्ति के विषय में विशेष रूप से बताया गया है।<ref>शिव पुराण-गीताप्रेस गोरखपुर</ref>
 
शिव पुराण का वास्तविक सम्बन्ध सनातन से सनातन ही सत्य है और सत्य ही शिव है, जो शिव का नही समझो वो सनातनी नही।
 
== कथा एवं विस्तार ==