No edit summary
टैग: यथादृश्य संपादिका मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन
इतिहास
टैग: यथादृश्य संपादिका मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन
पंक्ति 11:
 
== इतिहास ==
जब बनारस राज्य के स्वामी चेत सिंह वारेन हेस्टिंग्स की सेना से घबरा कर वानर किले में जा छुपे थे, तब हेस्टिंग्स की सेना के खिलाफ हथियार उठाने वाले ग्वालवंशी अहीर सरदार ही थे। जब वाराणसी में गोस्वामी तुलसीदास जी को अकबर के मुस्लिम सैनिकों के बंधक बना लिया गया था, तब मुस्लिम सेना पे आक्रमण करके उन्हें मुक्त कराने वाले भी यही थे। कहा जाता है कि उत्तर प्रदेश के बस्ती जिलों में अच्छी मात्रा में जमीन होने के कारण इन्हें भूमिदार बनाया गया। इनके उत्तर प्रदेश के कौशाम्बी , मिर्ज़ापुर और जौनपुर जैसे जिलों में कई छोटे-छोटे जमींदारियां थीं। इन्हें उनकी सामाजिक मान प्रतिष्ठा के कारण सरदार की उपाधि से सम्मानित किया गया है। यह मुख्यतः पहलवान, किसान व जमीनों के मालिक थे। इनका इतिहास हमेशा से हल और हथियार वाला रहा है। अहबरन खैरीगढ़ का ग्वालबंसी अहीर सरदार था। वह खेरीगढ़ की घेराबंदी की थी, जो मुगल साम्राज्य के अधीन थी और इस क्षेत्र पर उनका एक मजबूत स्वतंत्र शासन था। अकबर ने अपने उल्लेख को एक क्रूर राजा के रूप में वर्णित किया। अवध के खैराबाद प्रांत में पाली और बावन के परगनों के मालिक ग्वालबंसी अहीर थे।
जब [[भूमिहार|बनारस स्टेट]] के जमींदार [[चेत सिंह]] [[वारेन हेस्टिंग्स]] की सेना से घबरा कर [[चुनार का किला|चुनार]] किले में जा छुपे थे तब हेस्टिंग्स की सेना के विरुद्ध हथियार उठाने वाले ढ़ढोर अहीर ही थे।<ref>{{Cite book|url=https://books.google.co.in/books?id=srN0EAAAQBAJ&dq=%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A5%87%E0%A4%A8+%E0%A4%B9%E0%A5%87%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%9F%E0%A4%BF%E0%A4%82%E0%A4%97%E0%A5%8D%E0%A4%B8+%E0%A4%95%E0%A4%BE%E0%A4%B6%E0%A5%80+%E0%A4%B8%E0%A5%87+%E0%A4%AD%E0%A4%BE%E0%A4%97+%E0%A4%97%E0%A4%AF%E0%A5%87&pg=PA184&redir_esc=y#v=onepage&q=%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A5%87%E0%A4%A8%20%E0%A4%B9%E0%A5%87%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%9F%E0%A4%BF%E0%A4%82%E0%A4%97%E0%A5%8D%E0%A4%B8%20%E0%A4%95%E0%A4%BE%E0%A4%B6%E0%A5%80%20%E0%A4%B8%E0%A5%87%20%E0%A4%AD%E0%A4%BE%E0%A4%97%20%E0%A4%97%E0%A4%AF%E0%A5%87&f=false|title=Dekho Hamri Kashi: Bestseller Book by Hemant Sharma: Dekho Hamri Kashi|last=Sharma|first=Hemant|date=2022-06-13|publisher=Prabhat Prakashan|isbn=978-93-5521-380-8|language=hi}}</ref> जब [[वाराणसी]] में [[गोस्वामी तुलसीदास]] जी को [[अकबर]] के मुस्लिम सैनिको के बंधक बना लिया था तब मुस्लिम सेना पे आक्रमण करके उन्हें मुक्त कराने वाले भी यही थे।<ref>{{Cite book|url=https://books.google.co.in/books?id=Xo4hAAAAMAAJ&q=%E0%A4%85%E0%A4%B9%E0%A5%80%E0%A4%B0+%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%A8%E0%A4%B0%E0%A5%8B%E0%A4%82&dq=%E0%A4%85%E0%A4%B9%E0%A5%80%E0%A4%B0+%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%A8%E0%A4%B0%E0%A5%8B%E0%A4%82&hl=en&newbks=1&newbks_redir=0&source=gb_mobile_search&sa=X&ved=2ahUKEwj58J2GjKqEAxXrTGwGHcdECD4Q6AF6BAgNEAM#%E0%A4%85%E0%A4%B9%E0%A5%80%E0%A4%B0%20%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%A8%E0%A4%B0%E0%A5%8B%E0%A4%82|title=Amr̥talāla Nāgara ke upanyāsa|last=Tripathi|first=Anand Prakash|date=1981|publisher=Ānanda Prakāśana|language=hi}}</ref> [[गोंडा]] और [[बस्ती]] जिलो में [[अवध]] के किसी भी अन्य हिस्से या ज़िलों की तुलना में [[ग्वालवंश]] जाती की अधिक संख्या है, फिर भी उनके पास इन '''जिलो ''' में [[कोई] [[भूमि]] नहीं हैं। गोंडा और बस्ती ज़िलों मे ये '''भूमिहीन''' हैं।<ref>https://archive.org/details/in.ernet.dli.2015.181585/page/n147/mode/1up?q=gwalbans</ref><ref>https://books.google.co.in/books?id=tPNrAAAAMAAJ&q=gwalbans+basti&dq=gwalbans+basti&hl=en&newbks=1&newbks_redir=0&source=gb_mobile_search&sa=X&ved=2ahUKEwjbhJf91KKGAxWf9DgGHTg_CmYQ6wF6BAgNEAU#gwalbans%20basti</ref>
 
[[उत्तर प्रदेश]] के [[बस्ती जिला|बस्ती]] जिले में '''ढ़ढोर''' अहिरो के अच्छी मात्रा में जमीन होने के कारण इन्हें वहा भूमिदार कहा जाता था।<ref>{{Cite book|url=https://books.google.co.in/books?id=TD9uAAAAMAAJ&q=the+Kurmis+and+Ahirs+Bhumidar&redir_esc=y|title=Agrarian Struggles in India After Independence|last=Desai|first=Akshayakumar Ramanlal|date=1986|publisher=Oxford University Press|isbn=978-0-19-561681-1|language=en}}</ref> इनकी [[उत्तर प्रदेश]] के जिलों जैसे [[कौशाम्बी जिला|कौशाम्बी]]<ref>{{Cite book|url=https://books.google.co.in/books?id=sL0cAAAAMAAJ&q=%E0%A4%85%E0%A4%B9%E0%A5%80%E0%A4%B0+%E0%A4%95%E0%A5%8B+%E0%A4%9C%E0%A4%AE%E0%A5%80%E0%A4%82%E0%A4%A6%E0%A4%BE%E0%A4%B0&dq=%E0%A4%85%E0%A4%B9%E0%A5%80%E0%A4%B0+%E0%A4%95%E0%A5%8B+%E0%A4%9C%E0%A4%AE%E0%A5%80%E0%A4%82%E0%A4%A6%E0%A4%BE%E0%A4%B0&hl=en&newbks=1&newbks_redir=0&source=gb_mobile_search&sa=X&ved=2ahUKEwj3rvmL662EAxWciK8BHafwA_M4FBDoAXoECAoQAw#%E0%A4%85%E0%A4%B9%E0%A5%80%E0%A4%B0|title=Milā teja se teja|last=Chauhan|first=Sudha|date=1975|publisher=Haṃsa Prakāśana|language=hi}}</ref>, [[मिर्ज़ापुर जिला|मिर्ज़ापुर]]<ref>{{Cite book|url=https://books.google.co.in/books?id=5tocAQAAMAAJ&q=Gwalbans&dq=Gwalbans&hl=en&newbks=1&newbks_redir=0&source=gb_mobile_search&sa=X&ved=2ahUKEwj9uNWGiaqEAxXPTmwGHW9ECBgQ6AF6BAgIEAM#Ahir%20Zamindars|title=Contemporary Social Sciences|date=1978|publisher=Research Foundation of India|language=en}}</ref> और [[जौनपुर जिला|जौनपुर]]<ref>{{Cite book|url=https://books.google.co.in/books?id=dZ4sAQAAIAAJ&q=%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%9C+%E0%A4%AC%E0%A4%B9%E0%A4%BE%E0%A4%A6%E0%A5%81%E0%A4%B0+%E0%A4%AF%E0%A4%BE%E0%A4%A6%E0%A4%B5+%E0%A4%9C%E0%A5%8C%E0%A4%A8%E0%A4%AA%E0%A5%81%E0%A4%B0&dq=%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%9C+%E0%A4%AC%E0%A4%B9%E0%A4%BE%E0%A4%A6%E0%A5%81%E0%A4%B0+%E0%A4%AF%E0%A4%BE%E0%A4%A6%E0%A4%B5+%E0%A4%9C%E0%A5%8C%E0%A4%A8%E0%A4%AA%E0%A5%81%E0%A4%B0&hl=en&newbks=1&newbks_redir=0&source=gb_mobile_search&sa=X&ved=2ahUKEwiOwKe-662EAxVce2wGHRruDq8Q6AF6BAgKEAM#%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%9C%20%E0%A4%AC%E0%A4%B9%E0%A4%BE%E0%A4%A6%E0%A5%81%E0%A4%B0%20%E0%A4%AF%E0%A4%BE%E0%A4%A6%E0%A4%B5%20%E0%A4%9C%E0%A5%8C%E0%A4%A8%E0%A4%AA%E0%A5%81%E0%A4%B0|title=Proceedings. Official Report|last=Assembly|first=Uttar Pradesh (India) Legislature Legislative|date=1978|language=hi}}</ref> <ref>https://books.google.co.in/books?id=zhnsXQOa3KgC&q=%E0%A4%A2%E0%A4%BF%E0%A4%A2%E0%A5%8B%E0%A4%B0&dq=%E0%A4%A2%E0%A4%BF%E0%A4%A2%E0%A5%8B%E0%A4%B0&hl=en&newbks=1&newbks_redir=0&source=gb_mobile_search&sa=X&ved=2ahUKEwjVl_am87eGAxUbzDgGHbm3CvQQ6wF6BAgPEAU#%E0%A4%A2%E0%A4%BF%E0%A4%A2%E0%A5%8B%E0%A4%B0</ref>में कई ढ़ढोर अहिरो की छोटी-छोटी ज़मींदारिया थीं। इनको दूध बेचने कर करण [[बनारस]] में सरदार कहा जाता है।बनारस के हिंदी भाषी समुदाय में सरदार शब्द का अर्थ दो अलग-अलग तरह के लोगों से है,एक के साथ जी और दुषरे के साथ बिना जी के इस्तेमाल किया जाता है। सरदार नाम से संबोधित व्यक्ति एक दूधवाला ग्वाला होता है, और सरदार ज़ी से सम्बोधित व्यक्ति ढ़ढोर अहीर होते हैं।
ये
<ref>https://books.google.co.in/books?id=p64zAAAAIAAJ&q=sardar+banaras+milkman&dq=sardar+banaras+milkman&hl=en&newbks=1&newbks_redir=0&source=gb_mobile_search&sa=X&ved=2ahUKEwjNtP6eqLKGAxVF3TgGHbwpCF4Q6wF6BAgNEAU#sardar%20banaras%20milkman</ref><ref>{{Cite book|url=https://books.google.co.in/books?id=usDtDwAAQBAJ&pg=PA50&dq=Sardar+Ahir&hl=en&newbks=1&newbks_redir=0&source=gb_mobile_search&sa=X&ved=2ahUKEwj_-fD3jaqEAxVL-TgGHYL7B4Q4ChDoAXoECAoQAw#v=onepage&q=Sardar%20Ahir%20caste&f=false|title=Sociolinguistics in Hindi Contexts|last=Mehrotra|first=Raja R.|date=2019-07-22|publisher=Walter de Gruyter GmbH & Co KG|isbn=978-3-11-085463-3|language=en}}</ref><ref>{{Cite book|url=https://books.google.co.in/books?id=IWbsoYJ03BUC&q=%E0%A4%B8%E0%A4%B0%E0%A4%A6%E0%A4%BE%E0%A4%B0&pg=PA109&redir_esc=y#v=snippet&q=%E0%A4%B8%E0%A4%B0%E0%A4%A6%E0%A4%BE%E0%A4%B0&f=false|title=बना रहे बनारस|last=मुखर्जी|first=विशवनाथ|date=2009|publisher=भारतीय ज्ञानपीठ|isbn=978-81-263-1713-4|language=hi}}</ref> यह मुख्यतः बकरी चरवाहा , दूध वाला बेचने व भैंसों के मालिक थे।<ref>{{Cite book|url=https://books.google.co.in/books?id=kMolDQAAQBAJ&newbks=0&hl=en&redir_esc=y|title=The Wrestler's Body: Identity and Ideology in North India|last=Alter|first=Joseph S.|date=1992-08-03|publisher=University of California Press|isbn=978-0-520-07697-6|language=en}}</ref> इनका इतिहास हमेशा से गाय चराने का और दूध बेचने का रहा है। अहबरन खैरीगढ़ का ढ़ढोर अहीर था। उन्होंने खीरी (खैरीगढ़) की घेराबंदी की, जो मुगल साम्राज्य के अधीन था और इस क्षेत्र पर उनका एक मजबूत स्वतंत्र शासन था। अकबर ने उसका उल्लेख एक क्रूर राजा के रूप में किया।<ref>{{Cite book|url=https://books.google.co.in/books?newbks=1&newbks_redir=0&ovdme=1&id=3R9uAAAAMAAJ&dq=Kharkhila+ahir&focus=searchwithinvolume&q=+ahir|title=Uttar Pradesh District Gazetteers: Sitapur|date=1964|publisher=Government of Uttar Pradesh|language=en}}</ref> [[अवध]] के खैराबाद प्रांत में पाली और बावन के परगनों के मालिक ढ़ढोर अहीर थे।<ref>{{Cite book|url=https://books.google.co.in/books?newbks=1&newbks_redir=0&ovdme=1&id=3R9uAAAAMAAJ&dq=Kharkhila+ahir&focus=searchwithinvolume&q=+ahir|title=Uttar Pradesh District Gazetteers: Sitapur|date=1964|publisher=Government of Uttar Pradesh|language=en}}</ref>
 
बिरहा व लोरिकी गाते हैं। चित्रांकन ने ही बनारस में नाटी इमली (चौकाघाट) के भरत मिश्रण को शुरू किया है, जिसके कई फुट हिस्से लिए गए हैं। ये राधाकृष्ण के भी अनन्य भक्त हैं जो इनके स्वजातिय देवता हैं। इस कुश्ती के मामले में सबसे आगे, पूर्वी उत्तर प्रदेश में हर साल नागपंचमी के अवसर पर ये अखाड़ा संघर्षरत हैं।
 
== संस्कृति ==