स्थापत्य कला बोर्ड: छोटा सा सुधार किया।
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उत्पत्ति: छोटा सा सुधार किया।
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== श्री यादें माटी कला बोर्ड ==
राजस्थान श्री यादें माटी कला बोर्ड,जो कुम्हार समुदाय को समर्पित है, का गठन किया गया है।<ref>{{Cite web |title=Shri Ashok Gehlot, Chief Minister, Rajasthan |url=https://cmo.rajasthan.gov.in/pressreleasedetail/117665 |access-date=2023-07-28 |website=cmo.rajasthan.gov.in |archive-date=28 जुलाई 2023 |archive-url=https://web.archive.org/web/20230728093344/https://cmo.rajasthan.gov.in/pressreleasedetail/117665 |url-status=dead }}</ref><ref>{{Cite web |title=Sectoral Portal |url=https://sectors.rajasthan.gov.in/order/detail/956/0/109393 |access-date=2023-08-24 |website=sectors.rajasthan.gov.in}}</ref>
 
== उत्पत्ति ==
[[स्कंदपुराण ]] के नागर खंड में एवं [[श्री विश्वकर्मा पुराण]] में शिल्पियों का वर्णन मिलता हैं जो भगवान [[श्री विश्वकर्मा पुराण|विश्वकर्मा]] के पांचों संतानों मनु, मय,त्वष्ठा,शिल्पी(वास्तु) और देवज्ञ में से महर्षि शिल्पी(महर्षि वास्तु) के अनुयायी/ वंशज ही शिल्पकार समुदाय(वर्तमान में कुमावत) से संबंधित हैं।<ref>{{Cite web|url=http://www.gitapress.org/hindi/Search_result.asp|title=Online Hindu Spiritual Books,Hinduism Holy Books,Hindu Religious Books,Bhagwat Gita Books India|date=2010-06-25|website=web.archive.org|access-date=2024-02-26|archive-date=25 जून 2010|archive-url=https://web.archive.org/web/20100625064938/http://www.gitapress.org/hindi/Search_result.asp|url-status=bot: unknown}}</ref>
 
कुमावातो को प्राय: ''' गजधर''' भी कहा जाता है जो दुर्ग के दुर्गपति हुआ करते थे। इस कारण ये क्षत्रिय वर्ण के अंतर्गत आते हैं।<ref>{{Cite book|url=https://books.google.com/books?id=8Pk_CQAAQBAJ&newbks=0&hl=en|title=The Great History of Ajmer: अजमेर का वृहत् इतिहास|last=Gupta|first=Dr Mohan Lal|language=hi}}</ref>
 
कुमावतो को शिल्पी, राजकुमार, राजगीर, संगतरास,राज, मिस्त्री, राजमिस्त्री, पथरछिता(पाषाण से संबंधित शिल्पकार), परचिनिया, पच्चीकार कहा जाता है।<ref>{{Cite book|url=https://books.google.com/books?id=1qhYL4ydm5UC&newbks=0&hl=en|title=Hindi Ki Shabd Sampada|last=Mishra|first=Vidyaniwas|date=2009-01-01|isbn=978-81-267-1593-0|language=hi}}</ref>
 
कुमावत जाति के लोग अपने पारंपरिक स्थापत्य कला के अतिरिक्त अभिनय, चित्रकारी, भजन, लोक संगीत इत्यादि से भी संबंधित रहे हैं।<ref>{{Cite book|url=https://books.google.com/books?id=HcMYAAAAYAAJ&newbks=0&hl=en|title=Cittauṛagaṛha|date=1994|publisher=Javāhara Kalā Kendra|language=hi}}</ref>
 
== व्यक्ति ==