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{{About|हिन्दू देवी}}
'''नंदा देवी''' समूचे [[गढ़वाल मण्डल|गढ़वाल मंडल]] और [[कुमाऊँ मण्डल|कुमाऊं मंडल]] और हिमालय के अन्य भागों में जन सामान्य की लोकप्रिय देवी हैं। नंदा की उपासना प्राचीन काल से ही किये जाने के प्रमाण धार्मिक ग्रंथों, उपनिषद और पुराणों में मिलते हैं। रूप मंडन में पार्वती को गौरी के छ: रुपों में एक बताया गया है। भगवती की ६ अंगभूता देवियों में नंदा भी एक है। नंदा को नवदुर्गाओं में से भी एक बताया गया है। भविष्य पुराण में जिन [[दुर्गा]] के स्वरूपों का उल्लेख है उनमें महालक्ष्मी, नंदा, क्षेमकरी, शिवदूती, महाटूँडा, भ्रामरी, चंद्रमंडला, रेवती और हरसिद्धी हैं। शक्ति के रूप में नंदा ही सारे हिमालय में पूजित हैं।
नंदा देवी का मूल धाम चमोली के कुरुड़ कांसुवा गांव में है। बाद में कई जगह पर इनके मंदिर बनाए गए।
नंदा के इस शक्ति रूप की पूजा गढ़वाल में तल्ली दसोली, सिमली, तल्ली धूरी, चांदपुर, गैड़लोहवा आदि स्थानों में होती है। गढ़वाल में राज जात यात्रा का आयोजन भी नंदा के सम्मान में होता है।