[[टाइटैनिक]] 15 अप्रैल 1912 को [[उत्तरी अटलांटिक महासागर]] में डूब गया था। उस समय यह सेवा में मौजूद सबसे बड़ा जहाज़ था।<ref>{{cite news |title=आज ही के दिन डूबा था टाइटैनिक जहाज, जानिए क्या था इसका पूरा नाम |url=https://www.jansatta.com/photos/picture-gallery/titanic-history-sinking-facts-and-full-name/3310649/2/ |accessdate=17 जुलाई 2024 |work=जनसत्ता |date=15 अप्रैल 2024 |language=hi}}</ref> टाइटैनिक [[साउथेम्प्टन]] से [[न्यूयॉर्क शहर]] तक अपनी पहली यात्रा में था। चौथे दिन यानी 14 अप्रैल को रात 11:40 (जहाज के समय) पर वह एक [[हिमशैल|हिमखंड]] से टकराया।<ref>{{cite news |title=चारों तरफ समंदर, नाउम्मीद लोग और हाहाकार... डूबते वक्त टाइटैनिक पर बज रहा था ये गाना |url=https://www.aajtak.in/world/story/titanic-sinking-eyes-sea-desperate-hope-tragedy-unfolds-heart-wrenching-melody-resounds-lclt-1721712-2023-06-24 |accessdate=17 जुलाई 2024 |work=आज तक |date=24 जून 2023 |language=hi}}</ref> उस पर अनुमानित 2,224 लोग सवार थे। 15 अप्रैल को जहाज़ के समयानुसार रात के 02:20 पर दो घंटे और चालीस मिनट बाद उसके डूबने से 1,500 से अधिक लोगों की मौत हो गई।<ref>{{cite news |title=टाइटैनिक हादसा: किस वजह से हुई थीं इतनी अधिक मौतें |url=https://www.bbc.com/hindi/articles/cn03r40z8ygo |accessdate=17 जुलाई 2024 |work=[[बीबीसी हिन्दी]] |date=16 अप्रैल 2024 |language=hi}}</ref> इससे यह इतिहास की सबसे घातक शांतिकालीन समुद्री आपदाओं में से एक बन गई।<ref>{{cite news |title=Today History: टाइटैनिक के डूबने के 73 बरस बाद पहली बार उसकी तस्वीरें आज ही के दिन आईं सामने |url=https://ndtv.in/career/today-history-73-years-after-the-sinking-of-the-titanic-for-the-first-time-its-pictures-came-to-the-fore-4357277 |accessdate=17 जुलाई 2024 |work=[[एनडीटीवी इंडिया]] |language=hi}}</ref>
टाइटैनिक को 14 अप्रैल को रास्ते में समुद्री बर्फ़ की चट्टान होने की छह चेतावनियाँ मिली थी। लेकिन जब उसके निगरानी वाले कर्मचारियों ने हिमखंड देखा, तब वह लगभग 22 [[नॉट (इकाई)|नॉट]] (41 किमी/घंटा) की गति से यात्रा कर रहा था। इस तेज़ी में वह पूरी तरह से मुड़ने में असमर्थ रहा था और वह किनारे से हिमखंडहिमशैल से टकरा गया। उसके सोलह डिब्बों में से छह समुद्र की ओर खुल गए। टाइटैनिक को उसके आगे के चार डिब्बों में पानी भर जाने पर भी तैरते रहने के लिए डिज़ाइन किया गया था। लेकिन अब छह में पानी भर गया था इसलिए वह अब डूब रहा था। टाइटैनिक की आपातकालीन व्यवस्था उस समय की प्रणाली के अनुसार बचाव नौकाओं से यात्रियों को दूसरे जहाज में ले जाने के लिए बनी थी। लेकिन जहाज़ तेज़ी से डूब रहा था और मदद मिलने में अभी भी घंटों का समय था। केवल बीस बचाव नौकाओं होने के कारण कई यात्रियों और चालक दल के लिए कोई सुरक्षित शरण मौजूद नहीं थी।
टाइटैनिक के डूब जाने के समय उसमें एक हज़ार से ज़्यादा यात्री और कई चालक दल के सदस्य अभी भी सवार थे। पानी में गिरने वाले लगभग सभी लोग ठंडे पानी के झटके और [[हाइपोथर्मिया]] के कारण कुछ ही मिनटों में मर गए। टाइटैनिक के डूबने के लगभग डेढ़ घंटे बाद ''कार्पेथिया'' नामक जहाज़ वहां पहुंचा और 15 अप्रैल को सुबह 9:15 बजे तक उसने सभी 710 बचे लोगों को बचा लिया। इस आपदा ने दुनिया को झकझोर कर रख दिया और बचाव नौकाओं की कमी, ढीले नियम-कायदेनियमों और निकासी के दौरान तीसरे दर्जे के यात्रियों के साथ असमान व्यवहार को लेकर व्यापक आक्रोश पैदा हुआ।