"भारत का प्रधानमन्त्री": अवतरणों में अंतर
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===परंपरागत कर्त्तव्य===
भारत के प्रधानमन्त्रीपद के राजनैतिक महत्त्व एवं उसके पदाधिकारी की जननायक और राष्ट्रीय नेतृत्वकर्ता की छवि के लिहाज़ से, प्रधानमन्त्री पद के पदाधिकारी से यह आशा की जाती है, कि वे भारत के जनमानस को भली-भाँति जाने, समझें एवं राष्ट्र को उचित दिशा प्रदान करें। जनमानस के प्रतिनिधि होने के नाते, महत्वपूर्ण राष्ट्रीय दिवसों और समारोहों में प्रधानमन्त्री के अहम पारंपरिक एवं चिन्हात्मक किरदार रहा है। समय के साथ, प्रधानमन्त्री पर अनेक परांमरगत कर्त्तव्य विकसित हुए हैं। इन कर्तव्यों में प्रमुख है, [[स्वतंत्रता दिवस (भारत)|स्वतंत्रता दिवस]] के अवसर पर प्रतिवर्ष, [[दिल्ली]] के [[लाल किला|लाल क़िले]] की प्राचीर से प्रधानमन्त्री का राष्ट्र को संबोधन। स्वतत्रंता पश्चात्, वर्ष १९४७ से ही यह परंपरा चली आ रही है, जिसमें, प्रधानमन्त्री, स्वयँ [[दिल्ली]] के ऐतिहासिक [[लाल किला|लाल क़िले]] की प्राचीर पर, [[भारतीय राष्ट्रिय ध्वज|राष्ट्रीय ध्वज]] फहराते हैं और जनता को संबोधित करते हैं। इन भाषणों में अमूमन प्रधानमन्त्रीगण, बीते वर्ष में सरकार की उपलब्धियों को उजागर करते हैं, तथा आगामी वर्षो में सरकार की कार्यसूची और मनोदशा से लोगों को प्रत्यक्ष रूप से अवगत कराते हैं। १५ अगस्त, वर्ष १९४७ को सर्वप्रथम, भारत के प्रथम प्रधानमन्त्री, [[जवाहरलाल नेहरू]] ने लाल किले की प्राचीर से देश को संबोधित किया था। लाल किले से जनता को संबोधित करने की इस परंपरा को उनहोंने अपने १७ वर्षीया कार्यकाल में प्रतिवर्ष जारी रखा। तत्पश्चात्, उनके द्वारा शुरू की गयी इस परंपरा को उनके प्रत्येक उत्तराधिकारी ने बरकार रखा है, और यह परंपरा आज तक चली आ रही है।<ref>पीटीआई (15 अगस्त 2013). [http://www.thehindu.com/news/national/manmohan-first-pm-outside-nehrugandhi-clan-to-hoist-flag-for-10th-time/article5025367.ece "प्रधानमन्त्री मनमोहन सिंह नेहरू-गांधी परिवार के बहार के पहले व्यक्ति, जोकि १०वीं बार लाल किले से भाषण देंगे"] {{Webarchive|url=https://web.archive.org/web/20131221090006/http://www.thehindu.com/news/national/manmohan-first-pm-outside-nehrugandhi-clan-to-hoist-flag-for-10th-time/article5025367.ece |date=21 दिसंबर 2013 }}. ''[[द हिन्दू]]'' अभिगमन तिथि: 30 अगस्त 2013. {{in lang|en}}</ref> वर्तमान समय में, प्रधानमन्त्री का भाषण वर्ष के सबसे अहम राजनैतिक घटनों में से एक माना जाता है, जिसमे प्रधानमन्त्री स्वयँ प्रत्यक्ष रूप से जनता के समक्ष सरकार की उपलब्धियों और मनोदशा को प्रस्तुत करता है। [[१५ अगस्त]] के भाषण के अलावा, प्रतिवर्ष, २६ जनवरी को [[गणतंत्र दिवस (भारत)|गणतंत्रता दिवस]] के दिन, [[राजपथ]] पर गणतंत्रता दिवस के समारोह की प्रारंभ से पूर्व, प्रधानमन्त्री, देश के तरफ से, [[अमर जवान ज्योति]] पर पुष्पमाला अर्पित कर, भारतीय सुरक्षा बलों के शहीद सैनिकों को श्रद्धांजलि अर्पित करते है। इस परंपरा की शुरुआत, प्रधानमन्त्री [[इंदिरा गांधी]] के शासनकाल के समय हुई थी, जब १९७१ की युद्ध में [[पाकिस्तान]] की पराजय और [[बांग्लादेश मुक्ति युद्ध|बांग्लादेश की मुक्ति]] के पश्चात् देश की रक्षा के लिए शहीद हुए सैनिकों के
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