"यज्ञोपवीत": अवतरणों में अंतर

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यज्ञोपवीत एक विशिष्ट सूत्र को विशेष विधि से ग्रन्थित करके बनाया जाता है। इसमें सात ग्रन्थियां लगायी जाती हैं । ब्राम्हणों के यज्ञोपवीत में ब्रम्ह पाश होती है।तीन सूत्रों वाले इस यज्ञोपवीत को गुरु दीक्षा के बाद हमेशा धारण किया जाता है। अपवित्र होने पर इसे बदल लिया जाता है। बिना यज्ञोपवीत धारण कये अन्न जल गृहण नहीं किया जाता।
यज्ञोपवीत धारण करने का मन्त्र है
 
'''''यज्ञोपवीतं परमं पवित्रं प्रजापतेर्यत्सहजं पुरस्तात् ।
आयुष्यमग्रं प्रतिमुञ्च शुभ्रं यज्ञोपवीतं बलमस्तु तेजः।।'''''
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