"पैशाची भाषा": अवतरणों में अंतर

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== साहित्य ==
पैशाची की उक्त प्रवृत्तियों में से कुछ अशोक की पश्चिमोत्तर प्रदेशवर्ती [[खरोष्ठी लिपि]] की शहबाजगढ़ी एवं मानसेरा की धर्मलिपियों में तथा इसी लिपि में लिखे गए प्राचीन मध्य एशिया-खोतान-तथा पंजाब से प्राप्त हुए लेखों में मिलती हैं। पैशाची भाषा में विरचित गुणाढ्य कृत [[बृहत्कथा]] की भारतीय साहित्य में बड़ी ख्याति है। दंडी ने इसके संबंध में कहा है - "भूतभाषमयीं प्राहुरद्भुतां बृहत्कृथाम्।" दुर्भाग्यत: यह मूल ग्रंथ अब उपलब्ध नहीं है, किंतु उसके संस्कृत अनुवाद [[बृहत्कथामंजरी]], [[कथासरित्सागर]] आदि मिलते हैं। प्राकृत व्याकरणों एवं संस्कृत नाटकों में खंडश: इस भाषा के अंश प्राप्त होते हैं।
 
==इन्हें भी देखें==
*[[पश्तो]]
*[[दार्दी भाषाएँ]]
 
[[श्रेणी:हिन्दी]]