"देवीमाहात्म्य": अवतरणों में अंतर
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==परिचय==
सुरथ नाम के एक राजा का राज्य छीन जाने और जन पर संकट आ जाने पर वह राजा भाग कर जंगल चला जाता है! ज्ञानी राजा को अपनी
यही महामाया शक्ति सृष्टी की तीन अवस्थाओं का तीन रूपों में संचालन करती है। सृष्टी अवस्थाओं का लगातार परिवर्तन है। परिवर्तन का मापक काल ( समय ) है। बिना काल के परिवर्तन की कल्पना नहीं की जा सकती। इसलिए पहली अवस्था में यही (काल की) महाकाली शक्ति के रूप में महामाया सृष्टि को गति देती है। परिवर्तन की निरंतरता में काल के किसी विशेष बिन्दु पर सृष्टि का एक स्वरूप और केवल एक वही स्वरूप बनता है| उसका संघारण और संपोषण वह महालक्ष्मी के रूप में करती है। सृष्टि की तीसरी अवस्था विकास की अग्रिम अवस्था है, जब चेतना का बहुआयामी विकास होता है। इस अवस्था का संचालन और नियंन्त्रण महासरस्वती के रूप में वह करती है।
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