"एकांकी": अवतरणों में अंतर

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एक अंक वालावाले [[नाटक|नाटकों]] को '''एकांकी''' कहते हैं। [[अंग्रेजी]] के "वन ऐक्ट प्ले" शब्द के लिए [[हिंदी]] में "एकांकी नाटक" और "एकांकी" दोनों ही शब्दों का समान रूप से व्यवहार होता है।
 
पश्चिम में एकांकी २० वीं शताब्दी में, विशेषत: [[प्रथम महायुद्ध]] के बाद, अत्यंत प्रचलित और लोकप्रिय हुआ। हिंदी और अन्य भारतीय भाषाओं में उसका व्यापक प्रचलन इस शताब्दी के चौथे दशक में हुआ।
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भाण : स्याद् धूर्तचरितो नानावस्थांतरात्मक :।
 
एकांक एक एवात्र निपुण : पण्डितो विट:।।<br>
 
और
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हीनो गर्भविमर्शाभ्यां नरैर्बहुभिराश्रित:।।
 
एकांककश्च भवेत्‌...<br>
 
पश्चिम के नाट्यसाहित्य में आधुनिक एकांकी का सबसे प्रारंभिक और अविकसित किंतु निकटवर्ती रूप "इंटरल्यूड' है। १५वीं और १६वीं शताब्दियों में प्रचलित सदाचार और नैतिक शिक्षापूर्ण अंग्रेजी मोरैलिटी नाटकों के कोरे उपदेश से पैदा हुई ऊब को दूर करने के लिए प्रहसनपूर्ण अंश भी जोड़ दिए जाते हैं। ऐसे ही खंड इंटरल्यूड कहे जाते थे। क्रमश: ये मोरैलिटी नाटकों से स्वतंत्र हो गए और अंत में उनकी परिणति व्यंग्य-विनोद-प्रधान तीन पात्रों के छोटे नाटकों में हुई।