"चण्डी चरित्र": अवतरणों में अंतर

पंक्ति 31:
देह शिवा बर मोहे ईहे, शुभ कर्मन ते कभुं न टरूं<br>
न डरौं अरि सौं जब जाय लड़ौं, निश्चय कर अपनी जीत करौं,<br> अरु सिख हों आपने ही मन कौ इह लालच हउ गुन तउ उचरों,<br> जब आव की अउध निदान बनै अति ही रन मै तब जूझ मरों ॥२३१॥
 
 
भाल निपट विशाल शशिमृग मीन खंजन लोचनी,
भाल बदन विशाल कोमल सकल विध्न विमोचनी ।