"छांदोग्य उपनिषद": अवतरणों में अंतर

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*[[ब्रह्मज्ञान]] के लिए नितांत आवश्यक ब्रह्मचिंतन के निमित्त [[चित्त]] की एकाग्रता अनिवार्य है जिसके लिए ब्रह्म निर्देशक ओंकार की और ब्रह्म के सगुण प्रतीक जैसे [[मन]], [[प्राण]], [[आकाश]], [[वायु]], [[वाक्]], [[चक्षु]], [[श्रोत्र]], [[सूर्य]], [[अग्नि]], [[रुद्र]], [[आदित्य]] या [[मरुत]] और [[गायत्री]] इत्यादि की उपासना निर्दिष्ट की गई है।
 
{{wikisourcelang|1|छान्दोग्य उपनिषद्}}
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