"जैव ईंधन": अवतरणों में अंतर

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फसलों, पेडों, पौधों, गोबर, मानव-मल आदि जैविक वस्तुओं ([[बायोमास]]) में निहित उर्जा को [[जैव ऊर्जा]] कहते हैं। इनका प्रयोग करके उष्मा, विद्युत या [[गतिज ऊर्जा]] उत्पन्न की जा सकती है। धरातल पर विद्यमान सम्पूर्ण वनस्पति और जन्तु पदार्थ को बायोमास कहते हैं।
'''जैव इंधन''' (Biofuel) ,
जैव ईंधन का प्रयोग सरल है। यह प्राकृतिक तौर से नष्ट होने वाला तथा सल्फर तथा गंध से पूर्णतया मुक्त है।
Biomass is all plant and animal matter on the Earth's surface. Harvesting biomass such as crops, trees or dung and using it to generate energy such as heat, electricity or motion, is bioenergy.
 
पौधे '''[[प्रकाश संश्लेषण]]''' की प्रक्रिया के द्वारा [[सौर उर्जा]] को जैव ऊर्जा में बदलते हैं। यह जैव ऊर्जा, विभिन्न प्रक्रियायों से गुज़रते हुए विविध ऊर्जा स्रोतों का उत्पादन करती है। उदाहरण के लिए पशुओं को चारा, जिसके बदले हमें गोबर प्राप्त होता है, कृषि अवशेष के द्वारा खाना पकाना आदि। यद्यपि कोयला एवं पेट्रोलियम भी पेड-पौधों के परिवर्तित रूप हैं, किन्तु इन्हे जैव-ऊर्जा के स्रोत की तरह नहीं माना जाता है क्योंकि ये प्रक्रिया हजारों वर्ष पहले हुई होगी।
 
 
===जैव ऊर्जा के उपयोग===
 
जैव ईंधन ऊर्जा का एक महत्वपूर्ण स्रोत है जिसका देश के कुल ईंधन उपयोग में एक-तिहाई का योगदान है और ग्रामीण परिवारों में इसकी खपत लगभग 90 प्रतिशत है। जैव ईंधन का व्यापक उपयोग खाना बनाने और उष्णता प्राप्त करने में किया जाता है। उपयोग किये जाने वाले जैव ईंधन में शामिल है- कृषि अवशेष, लकड़ी, कोयला और सूखे गोबर।
 
भारत में जैव ईंधन की वर्त्तमान उपलब्धता लगभग 120-150 मिलियन मीट्रिक टन प्रतिवर्ष है जो कृषि और वानिकी अवशेषों से उत्पादित है और जिसकी ऊर्जा संभाव्यता 16,000 मेगा वाट है।
 
 
===जैव ऊर्जा के लाभ===
* स्थानीय रूप से उपलब्ध
* नवीनीकरणीय
*जीवाश्म ईंधन की तुलना में यह एक स्वच्छ ईंधन है। एक प्रकार से जैव ईंधन, कार्बन डाई-ऑक्साईड का अवशोषण कर हमारे परिवेश को भी स्वच्छ रखता है।
 
 
===जैव उर्जा के दोष===
*ईंधन को एकत्रित करने में कड़ी मेहनत।
*खाना बनाते समय और घर में रोशनदानी (वेंटीलेशन) नहीं होने के कारण गोबर से बनी ईंधन वातावरण को प्रदूषित करती है जिससे स्वास्थ्य को गंभीर खतरा होता है।
*जैव ईंधन के लगातार और पर्याप्त रूप से उपयोग न करने के कारण वनस्पति का नुकसान होता है जिसके चलते पर्यावरण के स्तर में गिरावट आती है।
 
 
 
जैव ईंधन उपयोग की क्षमता निम्नलिखित विधियों से बढ़ाई जा सकती है-
 
*विकसित डिज़ाईन के स्टोवों का उपयोग, जो क्षमता को दोगुणा करता है जैसे धुँआ रहित ऊर्जा चूल्हा।
*बायो मास को कम्प्रेस करते हुए ब्रिकेट के रूप में बनाये रखना ताकि वह कम स्थान ले सके और अधिक प्रभावी ढ़ग से कार्य कर सके।
*जैव वस्तुओं को एनारोबिक डायजेशन के माध्यम से बायोगैस में रूपांतरित करना जो न केवल ईंधन की आवश्यक्ताओं को पूरा करता है बल्कि खेतों को घुलनशील खाद भी उपलब्ध कराता है।
*नियंत्रित वायु आपूर्ति के अंतर्गत बायो मास के आंशिक दहन के माध्यम बायो मास को उत्पादक गैस में रूपांतरित करना।
 
 
 
 
 
[[श्रेणी:ऊर्जा के स्रोत]]