"गुरु राम दास": अवतरणों में अंतर
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[[Image:Guru ramdas.jpg|thumb|left|<center>गुरू राम दास</center>]]
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==जीवन==
गुरू राम दास (जेठा जी) का जन्म चूना मण्डी, [[लाहौर]] (अब पाकिस्तान में) में कार्तिक वदी २, (२५वां आसू) सम्वत १५९१ (२४ सितम्बर, १५३४) को हुआ था। माता दया कौर जी (अनूप कौर जी) एवं बाबा हरी दास जी सोढी खत्री का यह पुत्र बहुत ही सुंदर एवं आकर्षक था। राम दास जी का परिवार बहुत गरीब था। उन्हें उबले हुए चने बेच कर उन्हें अपनी रोजी रोटी कमानी पड़ती थी। जब वो मात्र ७ वर्ष के थे, उनके माता पिता की मृत्यु हो गयी। उनकी नानी उन्हें अपने साथ बसर्के गांव ले आयी। उन्होंने बसर्के में ५ वर्षों तक उबले हुए चने बेच कर अपना जीवन यापन किया। एक बार गुरू अमर दास साहिब जी रामदास साहिब जी की नानी के साथ उनके दादा की मृत्यू पर बसर्के आये और उन्हें राम दास साहिब से एक गहरा लगाव सा हो गया। रामदास जी अपनी नानी के साथ गोइन्दवाल आ गये एवं वहीं बस गये। यहां भी वे अपनी रोजी रोटी के लिए उबले चने बेचने लगे एवं साथ ही साथ गुरू अमरदास साहिब जी द्वारा धार्मिक संगतों में भी भाग लेने लगे। उन्होंने गोइन्दवाल साहिब के निर्माण की सेवा की।
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रामदास साहिब जी का विवाह गुरू अमरदास साहिब जी की पुत्री बीबी भानी जी के साथ हो गया। उनके यहां तीन पुत्रों -१. पृथी चन्द जी, २. महादेव जी एवं ३. अरजन साहिब जी ने जन्म लिया। शादी के पश्चात रामदास जी गुरु अमरदास जी के पास रहते हुए गुरु घर की सेवा करने लगे। वे गुरू अमरदास साहिब जी के अति प्रिय व विश्वासपात्र सिख थे। उन्होंने भारत के विभिन्न भागों में लम्बे धार्मिक प्रवासों के दौरान गुरु अमरदास जी के साथ ही रहते।
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