"कंक्रीट": अवतरणों में अंतर

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{{वार्ता शीर्षक}}[[चित्र:Concrete pouring 0020.jpg|right|thumb|350px|वाणिज्यिक भवन के लिये कंक्रीट बिछायी जा रही है।]]
'''कंक्रीट''' (Concrete) एक निर्माण सामग्री है जो [[सिमेण्ट]] एवं कुछ अन्य पदार्थों का मिश्रण होती है। कंक्रीट की यह विशेषता है कि यह पानी मिलाकर छोड़ देने के बाद धीरे-धीरे [[ठोस]] एवं कठोर बन जाता है। इस प्रक्रिया को जलीकरण (Hydration) कहते है। इस [[रासायनिक क्रिया]] में पानी, सिमेन्ट के साथ क्रिया करके [[पत्थर]] जैसा कठोर पदार्थ बनाती है जिसमें अन्य चीजें बंध जातीं हैं। कंक्रीट का प्रयोग सड़क बनाने, पाइप निर्माण, भवन निर्माण, नींव बनाने, [[पुल]] आदि बनाने में होता है।
 
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इस मिश्रण को जब अच्छी तरह मिला दिया जाता है और केवल इतना ढीला रखा जाता है कि गड्ढे या साँचे के कोने-कोने तक पहँच सके तब यह किसी भी आकृति के गड्ढे अथवा खोखले स्थान में, जैसे नींव की अथवा मेहराब की बगल में, भरा जा सकता है।
 
 
== सीमेंट कंक्रीट ==
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ताजा बने कंक्रीट को पेंदी रहित बाल्टी में डालते हैं जिसकी आकृति [[शंकु]] के [[छिन्नक]] (फ़स्टम) की भाँति होती है। ऊपर का व्यास 5 इंच तथा नीचे का 8 इंच होता है और ऊँचाई 12 इंच होती है। कंक्रीट को इस बर्तन में भरकर कूटने के बाद, बरतन को उठा लिया जाता है। तब कंक्रीट कुछ बैठ जाता है। कंक्रीट का माथा जितने नीचे धँसता है उतना ही '''अवपात''' (स्लंप) कहलाता है। अवपात जितना ही अधिक होगा, सुकरता भी उतनी ही अधिक होगी। सड़क बनाने के लिए 1 इंच के कंक्रीट का अवपात ठीक रहता है। छत, [[धरन]] (बीम, beam) इत्यादि में अवपात 1ह इंच से 2 इंच तक होना चाहिए। खंभों और उन पतली दीवारों के लिए जो कमरों को दो या अधिक खंडों में बाँटने के लिए खड़ी की जाती हैं, अवपात को 4 इंच तक बढ़ाना पड़ता है, जिसमें कंक्रीट फैलकर सब जगह पहुँच जाए और कहीं पोलापन न रह जाए।
 
 
'''कंक्रीट की पुष्टता''' (स्ट्रेंथ, strength), सीमेंट के गुण, जल और सीमेंट के अनुपात और सघनता की मात्रा पर निर्भर होती है। यदि सीमेंट वही रहे और गिट्टी तथा बालू इस प्रकार से विविध नापों के रहें कि पूर्ण सघनता प्राप्त हो तो कंक्रीट की पुष्टता जल और सीमेंट के अनुपात पर निर्भर रहेगी। जल और सीमेंट का अनुपात बढ़ने से, अर्थात् अधिक जल मिलाने से, पुष्टता घटती है, परंतु स्मरण रहे कि पानी की मात्रा एक निश्चित सीमा से कम नहीं की जा सकती। रासायनिक क्रिया पूरी होने के लिए जल की मात्रा सीमेंट की मात्रा की कम से कम 0.25 होनी चाहिए, परंतु सुकरता के लिए और कंक्रीट को कूटकर सघन बना सकने के लिए इससे अधिक पानी की आवश्यकता पड़ती है।
 
0.35 से कम अनुपात में पानी मिलाकर बनाया गया मिश्रण प्राय: इतना खर्रा (सूखा) होता है कि इससे काम नहीं लिया जा सकता।
 
 
'''कंक्रीट का टिकाऊपन''' प्रधानत: उसकी सघनता पर निर्भर रहता है। कंक्रीट में जितने ही कम रंध्र रहते हैं, उसमें उतना ही कम क्षारीय जल अथवा अन्य हानिकर पदार्थ घुल पाते हैं, इसलिए उसमें उतना ही कम क्षय होता है। सघनता प्राप्त करने के लिए यथासंभव कम पानी डालना चाहिए और गिट्टी के रोड़ों की नाप तथा बालू का प्रकार और उसकी मात्रा ऐसी होनी चाहिए कि कंक्रीट में रिक्त स्थान न छूटने पाए।
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[[श्रेणी:इंजीनियरी सामग्री]]
[[श्रेणी:सिविल इंजीनियरी]]
 
[[pfl:Bedong]]
 
[[ar:خرسانة]]
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[[nn:Betong]]
[[no:Betong]]
[[pfl:Bedong]]
[[pl:Beton]]
[[ps:ګاګره]]