"प्रेमकथा": अवतरणों में अंतर

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{{वार्ता शीर्षक}}विश्वप्रसिद्ध प्रेमकथाओं में राधा-कृष्ण, शकुंतला-दुष्यंत, सावित्री-सत्यवान जैसी पौराणिक कथाओं के अलावा रानी रूपमती-बाज बहादुर, सलीम-अनारकली, हीर-रांझा, लैला-मजनूं, सोहनी-महिवाल, ढोला-मारू जैसे प्रेम चरित्रों की गाथाएं अमर हैं।
 
==राधा-कृष्ण==
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==शीरीं-फरहाद==
फारस की पृष्ठभूमि में जन्मी इस कहानी का पात्र फरहाद एक शिल्पकार था, जो राजकुमारी शीरीं से बेइंतहा मुहब्बत करता था, लेकिन राजकुमारी इस प्रेम से अनभिज्ञ थी। निराश फरहाद पहाडों में जाकर रहने लगा और बांसुरी पर राजकुमारी की प्रशंसा में धुनें बजाने लगा। जब यह बात शीरीं को मालूम हुई तो वह फरहाद से मिली और उसके प्रेम में गिरफ्त हो गई। शीरीं के पिता और राजा नहीं चाहते थे कि उनकी बेटी एक आम आदमी से शादी करे। आखिर उन्होंने अपनी बेटी के सामने शर्त रखी कि यदि फरहाद पहाडों के बीच चट्टानों में नहर खोद दे तो वह शीरीं का विवाह उससे कर देंगे। यह बेहद मुश्किल कार्य था, लेकिन फरहाद ने नहर खोदनी शुरू की। उसकी अथक मेहनत देखकर राजा को लगा कि कहीं फरहाद अपना लक्ष्य प्राप्त न कर ले। नहर पूरी होने को थी, घबराए हुए राजा ने अपने दरबारियों से बेटी के विवाह की खातिर मशविरा करना चाहा। उनके वजीर ने सलाह दी कि किसी बूढी स्त्री को फरहाद के पास भेजें और यह संदेश दें कि राजकुमारी की मौत हो चुकी है। तब एक बूढी स्त्री फरहाद के पास पहुंची और जोर-जोर से रोने लगी। फरहाद ने उससे रोने का कारण पूछा तो बुढिया ने कहा, तुम जिसके लिए अपने शरीर को खटा रहे हो-वह तो मर चुकी है। यह सुनकर फरहाद को सदमा पहुंचा और उसने अपने औजारों से खुद को मार लिया, नहर बन चुकी थी, मगर पानी की जगह उसमें फरहाद का लहू बह रहा था। फरहाद की मौत की खबर सुनकर शीरीं ने भी खुद को खत्म कर लिया। इस तरह एक और प्रेम कहानी असमय मौत की गोद में सो गई।
 
[[श्रेणी:साहित्य]]