"फोर स्ट्रोक इंजन": अवतरणों में अंतर

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[[Image:4-Stroke-Engine.gif|thumb|right||[[पेट्रोल]] से चलने वाली गाड़ियों में प्रयोग होने वाला फोर-स्ट्रोक इंजिन। दायीं ओर नीला चक्र इनटेक एवं बायीं ओर पीला वाला एग्ज़ॉस्ट है। सिलिंडर की दीवार पतली स्लीव की है, जिसे शीतलक जल घेरे रहता है।]]
वर्तमान युग में [[कार|कारों]], [[ट्रक|ट्रकों]], [[मोटरसाइकिल|मोटरसाइकिलों]] व [[वायुयान|वायुयानों]] आदि में प्रयोग होने वाले [[अन्तर्दहन इंजन]] प्रायः '''फोर स्ट्रोक इंजन''' होते हैं। 'चार स्ट्रोक' का मतलब है कि [[ईंधन]] से [[यांत्रिक उर्जा]] में परिवर्तन का चक्र कुल चार चरणों में पूरा होता है। इन चरणों या स्ट्रोकों को क्रमश: इनटेक, संपीडन (कम्प्रेशन), ज्वलन (combustion), एवं उत्सर्जन (exhaust) कहते हैं । ध्यान देने की बात है कि इन चार चरणों (स्ट्रोकों) को पूरा करने में क्रैंकसाशाफ्ट को दो चक्कर लगाने पड़ते हैं।
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==चार घात (स्ट्रोक)==
फोर स्ट्रोक इंजन एक पूरी साइकिल यानी एक बार में चार चार प्रक्रियाओं से गुजरता है। जिन्हें अंग्रेज़ी में '''स्ट्रोक''' कहा जाता है।
*पहला '''इनटेक वाल्व''': जब यह खुलता है, तो यह [[कार्ब्युरेटर]] से [[हवा]] और [[ईंधन]] को खींचता है।
 
*दूसरा '''कंप्रेस साइकिल''': इस में ईंधन और हवा के मिश्रण को संपीड़ित करने का काम करता है। उस दौरान इनटेक और एग्जास्ट वाल्व बंद रहता है।
 
*तीसरा '''पावर स्ट्रोक''': इस प्रक्रिया में ही शक्ति उत्पन्न होती है। इसमें स्पार्क प्लग के माध्यम से ईंधन और हवा का दहन होता है।
 
*चौथा और अंतिम चरण '''एग्जास्ट साइकिल''' का होता है। इनकेट की प्रक्रिया के दौरान यह वाल्व खुलता है और ईंधन दहन के दौरान धक्का मिलने पर यह वाल्व काम करने लगता है और चार स्ट्रोकों की यह प्रक्रिया पूरी हो जाती है।
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चतुर्घात चक्र (फ़ोर स्ट्रोक साइकिल) के अनुसार काम करनेवाले इंजनों में पिस्टन के चार बार चलने पर (दो बार आगे, दो बार पीछे चलने पर) इसके कार्यक्रम का एक चक्र पूरा होता है। ये चार निम्नलिखित हैं:
 
*(क) सिलिंडर में पिस्टन माथे से दूर जाता हैं; इस समय अंतर्ग्रहरण वाल्व (इन-टेक-वाल्व) खुल जाता है और वायु, तथा साथ में उचित मात्रा में पेट्रोल (या अन्य ईधन), सिलिंडर के भीतर खिंच आता है। इसे '''अंतर्ग्रहण घात''' कहते हैं।
 
*(ख) जब पिस्टन लौटता है तो अंतग्र्रहण वाल्व बंद हो जाता है; दूसरा वाल्व भी (जिसे निष्कास वाल्व कहते हैं) बंद रहता है। इसलिए वायु और पेट्रोल मिश्रण को बाहर निकलने के लिए कोई मार्ग नहीं रहता। अत: वह संपीडित (कंप्रेस्ड) हो जाता है। इसी कारण इसे संपीडन घात (कंप्रेशन स्ट्रोक) कहते हैं।
 
*(ग) ज्यों ही पिस्टन लौटने लगता है, स्पार्क प्लग से चिनगारी निकलती है और संघनित पेट्रोल-वायु-मिश्रण जल उठता है। इससे इतनी गरमी और दाब बढ़ती है कि पिस्टन को जोर का धक्का लगता है और पिस्टन हठात् माथे से हटता हे। इस हटने में पिस्टन और उससे संबंद्ध प्रधान धुरी (मेन शैफ्ट) भी बलपूर्वक चलते हैं और बहुत सा काम कर सकते हैं। पेट्रोल के जलने की ऊर्जा इसी प्रकार धुरी के घूमने में परिवर्तित होती है। धुरी पर एक भारी चक्का जड़ा रहता है जिसे फ्लाईहील कहते हैं। यह भी अब वेग से चलने लगता है।
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==बाहरी सूत्र==
 
[[श्रेणी:इंजन]]
[[श्रेणी:उष्मागतिकी]]
[[श्रेणी:उर्जा]]
[[श्रेणी:यांत्रिक प्रौद्योगिकी]]
[[श्रेणी:इंजन घटक]]
[[श्रेणी:इंजन घटक]]
[[श्रेणी:इंजन ईंधन प्रणाली प्रौद्योगिकी]]