"विट्ठलनाथ": अवतरणों में अंतर
Content deleted Content added
अनुनाद सिंह (वार्ता | योगदान) नया पृष्ठ: '''विट्ठलनाथ''' वल्लभ संप्रदाय के प्रवर्तक श्री वल्लभाचार्य जी ... |
No edit summary |
||
पंक्ति 9:
;वल्लभसुत वल भजन के कलिजुग में द्वापर कियौ।
;बिट्ठलनाथ ब्रजराज ज्यों लाल लड़ाय कै सुख लियौ।
विट्ठलनाथ का अपने समय में अत्यधिक प्रभाव था। [[अकबर]] बादशाह ने इनके अनुरोध से गोकुल में वानर, मयूर, गौ आदि के वध पर प्रतिबंध लगाया था और गोकुल की भूमि अपने फरमान से माफी में प्रदान की थी। विट्ठलनाथ जी के सात पुत्र थे जिन्हें गुसाइर्ं जी ने सात स्थानों में भेजकर संप्रदाय की सात गद्दियाँ स्थापित कर दीं। अपनी संपत्ति का भी उन्होंने अपने जीवनकाल में ही विभाजन कर दिया था। सात पुत्रों को पृथक् स्थानों पर भेजने से संप्रदाय का व्यापक रूप से प्रचार संभव हुआ। इनके चौथे पुत्र गुसाई गोकुलनाथ ने चौरासी वैष्णवन की बार्ता तथा दो सौ बावन वैष्णवन की वार्ता का प्रणयन किया। कुछ विद्वान् मानते हैं कि ये वार्ताएँ प्रारंभ में मौखिक रूप में कही गई थीं, बाद में इन्हें लिखित रूप मिला।
पंक्ति 17:
[[श्रेणी:भक्ति सम्प्रदाय]]
[[श्रेणी:भक्ति आन्दोलन]]
[[श्रेणी:उत्तम लेख]]
|