"विद्युत अपघटन": अवतरणों में अंतर

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* 1886 - हेनरी म्वायसन (Henri Moissan) ने विद्युत अपघटन के उपयोग के द्वारा [[फ्लोरीन]] का [[आविष्कार]] किया।
 
* 1886 - [[एल्युमिनियम|अलमुनियम]] के निष्कर्षण (extraction) के लिये हाल-हेरोल्ट (Hall-Héroult) प्रक्रिया की खोज
 
* 1890 - कास्टनर-केल्नर प्रक्रिया (Castner-Kellner process) द्वारा सोडियम हाइड्राक्साइड का निर्माण
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उपरोक्त अवयवों की भूमिका इस प्रकार है-
* चलायमान [[ऑयन]] विद्युतधारा के प्रवाह के लिये "वाहक" (कैरिअर) का काम करते हैं। यदि आयन चलायमान न हों (जैसे किसी ठोस में) तो विद्युत अपघ्टन सम्भव नहीं होगा।
 
* बाहर से विद्युत धारा प्रवाहित करने से आयन बनने या "डिस्चार्ज" होने के लिये आवश्यक [[उर्जा]] प्राप्त होती है।
 
* दो विद्युताग्र - बाहरी विद्युत [[परिपथ]] एवं आयनिक विलयन को विद्युतीय दृष्टि से जोडने का काम करते हैं।
 
विद्युताग्र, विद्युत के चालक होने चाहिये। [[धातु]], ग्रेफाइट और [[अर्धचालक]] पदार्थों के एलेक्ट्रोड बहुता प्रयोग में लाये जाते हैं। एलेक्ट्रोड के पदार्थ का चुनाव इन् बातों से प्रभावित होता है-
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* Production of electrolytic copper as a cathode, from refined copper of lower purity as an anode.
 
 
; अन्य उपयोग -
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[[श्रेणी:विद्युत रसायन]]
[[श्रेणी:उत्तम लेख]]
 
[[ar:تحليل كهربائي]]