"अज्ञेयवाद": अवतरणों में अंतर

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{{वार्ता शीर्षक}}'''अज्ञेयवाद''' (एग्नॉस्टिसिज्म / Agnosticism) [[ज्ञानमीमांसा|ज्ञान मीमांसा]] का विषय है, यद्यपि उसका कई पद्धतियों में [[तत्वमीमांसा|तत्व दर्शन]] से भी संबंध जोड़ दिया गया है। इस सिद्धांत की मान्यता है कि जहाँ विश्व की कुछ वस्तुओं का निश्चयात्मक ज्ञान संभव है, वहाँ कुछ ऐसे तत्व या पदार्थ भी हैं जो अज्ञेय हैं, अर्थात् जिनका निश्चयात्मक ज्ञान संभव नहीं है। अज्ञेयवाद, [[संदेहवाद]] से भिन्न है; संदेहवाद या [[संशयवाद]] के अनुसार विश्व के किसी भी पदार्थ का निश्चयात्मक ज्ञान संभव नहीं है।
 
[[भारतीय दर्शन]] के संभवतः किसी भी संप्रदाय को अज्ञेयवादी नहीं कहा जा सकता। वस्तुतः भारत में कभी भी संदेहवाद एवं अज्ञेयवाद का व्यवस्थित प्रतिपादन नहीं हुआ। [[न्याय दर्शन|नैयायिक]] सर्वज्ञेयवादी हैं, और [[नागार्जुन]] तथा श्रीहर्ष जेसे मुक्तिवादी भी पारिश्रमिक अर्थ में संशयवादी अथवा अज्ञेयवादी नहीं कहे जा सकते।