"अफ़ग़ानिस्तान का इतिहास": अवतरणों में अंतर

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{{वार्ता शीर्षक}}[[चित्र:Persian empire 490bc Bactria.gif|left|thumb|320px|प्राचीन अफ़गानिस्तान पर कई फ़ारसी साम्राज्यों का अधिकार रहा । इनमें [[हख़ामनी साम्राज्य]] (ईसापूर्व 559– ईसापूर्व 330 )का नाम प्रमुख है]]आज जो [[अफ़गानिस्तान]] है उसका मानचित्र उन्नीसवीं सदी के अन्त में तय हुआ । अफ़ग़ानिस्तान शब्द कितना पुराना है इसपर तो विवाद हो सकता है पर इतना तय है कि १७०० इस्वी से पहले दुनिया में अफ़ग़ानिस्तान नाम का कोई राज्य नहीं था ।
 
सिकन्दर का आक्रमण ३२८ ईसापूर्व में उस समय हुआ जब यहाँ प्रायः फ़ारस के [[हखामनी]] शाहों का शासन था । उसके बाद के ग्रेको-बैक्ट्रियन शासन में [[बौद्ध धर्म]] लोकप्रिय हुआ । ईरान के [[पार्थियन]] तथा भारतीय [[शक|शकों]] के बीच बँटने के बाद अफ़ग़निस्तान के आज के भूभाग पर [[सासानी]] शासन आया । [[फ़ारस पर इस्लामी फ़तह]] का समय कई साम्राज्यों के रहा । पहले बग़दाद स्थित [[अब्बासी]] [[ख़िलाफ़त]], फिर [[खोरासान]] में केन्द्रित [[सामानी साम्राज्य]] और उसके बाद ग़ज़ना के शासक । गज़ना पर [[ग़ोर]] के फारसी शासकों ने जब अधिपत्य जमा लिया तो यह गोरी साम्राज्य का अंग बन गया । मध्यकाल में कई अफ़ग़ान शासकों ने [[दिल्ली]] की सत्ता पर अधिकार किया या करने का प्रयत्न किया जिनमें [[लोदी वंश]] का नाम प्रमुख है । इसके अलावा भी कई मुस्लिम आक्रमणकारियोंं ने अफगान शाहों की मदत से हिन्दुस्तान पर आक्रमण किया था जिसमें [[बाबर]], [[नादिर शाह]] तथा [[अहमद शाह अब्दाली]] शामिल है । अफ़गानिस्तान के कुछ क्षेत्र [[दिल्ली सल्तनत]] के अंग थे ।
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ब्रिटेन और फ्रांस के बीच १७६३ में हुए पेरिस की संधि के बाद अंग्रेज भारत में एक मात्र यूरोपीय शक्ति बच गए थे । उधर रूसी साम्राज्य कॉकेशस से दक्षिण की तरफ बढ़ रहा था । जिस बात से ब्रिटिश साम्राज्य को सबसे अधिक चिंता हो रही थी वो थी ईरानी दरबार में बढ़ता हुआ रूसी प्रभाव । १८३७ में रूस ने ईरान के शाह को [[हेरात]] पर नियंत्रण के लिए प्रोत्साहित किया । हेरात पर ईरानी नियंत्रण के बाद अंग्रेज़ों को रूस की साम्राज्यवादी नीति से डर सा लगने लगा । ऑकलैंड ने दोस्त मुहम्मद से रूसियों तथा ईरानियों के साथ सभी सम्पर्क तोड़ लेने को कहा । इसके बदले में ऑकलैंड ने ये वादा किया कि वे रणजीत सिंह के साथ अफ़गानों की मित्रता बहाल करेगा । पर जब ऑकलैंड ने ये लिखित रूप से देने से मना कर दिया तब दोस्त मुहम्मद ने मुँह फेर लिया और रूसियों के साथ वार्ता आरंभ कर दी ।
 
 
=== प्रथम आंग्ल अफ़गान युद्ध ===
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=== द्वितीय आंग्ल अफ़ग़ान युद्ध ===
 
=== तृतीय आंग्ल अफ़ग़ान युद्ध ===
१९१९ में अफ़ग़ानिस्तान ने विदेशी ताकतों से एक बार फिर स्वतंत्रता पाई। आधुनिक काल में १९३३-१९७३ के बाच का काल अफ़ग़ानिस्तान का सबसे अधिक व्यवस्थित काल रहा जब [[ज़ाहिर शाह]] का शासन था, पर पहले उसके जीजा तथा बाद में कम्युनिस्ट पार्टी के सत्तापलट के कारण देश में फिर से अस्थिरता आ गई। सोवियत सेना ने कम्युनिस्ट पार्टी के सहयोग के लिए देश में कदम रखा और मुजाहिदीन ने सोवियत सेनाओं के खिलाफ युद्ध छेड़ दिया और बाद में [[अमेरिका]] तथा [[पाकिस्तान]] के सहयोग से सोवियतों को वापस जाना पड़ा । ११ सितम्बर २००१ के हमले में मुजाहिदीन के सहयोग होने की खबर के बाद अमेरिका ने देश के अधिकांश हिस्से पर सत्तारुढ़ मुजाहिदीन([[तालिबान]]), जिसको कभी अमेरिका ने सोवियत सेनाओं के खिलाफ लड़ने में हथियारों से सहयोग दिया था, के खिलाफ युद्ध छेड़ दिया।