"शंकरदेव": अवतरणों में अंतर

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==रचनाएँ==
*[[मार्कडेयपुराण]] के आधार पर शंकरदेव ने 615 छंदों का '''हरिश्चंद्र उपाख्यान''' लिखा।
 
*'''भक्तिप्रदीप''' में भक्तिपरक 308 छंद हैं। इसकी रचना का आधार [[गरुड़पुराण]] है।
 
*[[हरिवंशपुराण|हरिवंश]] तथा [[भागवतपुराण]] की मिश्रित कथा के सहारे इन्होंने '''रुक्मिणीहरण''' काव्य की रचना की।
 
*शंकरकृत '''कीर्तनघोषा''' में [[ब्रह्मपुराण]], [[पद्मपुराण]] तथा [[भागवतपुराण]] के विविध प्रसंगों का वर्णन है।
 
*[[वामनपुराण]] तथा भागवत के प्रसंगों द्वारा '''अनादिपतनं''' की रचना हुई।
 
*'''अंजामिलोपाख्यान''' 426 छंदों की रचना है।
 
*'''अमृतमंथन''' तथा '''बलिछलन''' का निर्माण अष्टम स्कंध की दो कथाओं से हुआ है।
 
*'''आदिदशम''' कवि की अत्यंत लोकप्रिय रचना है जिसें कृष्ण की बाललीला के विविध प्रसंग चित्रित हुए हैं।
 
*'''कुरुक्षेत्र''' तथा '''निमिमनसिद्धसंवाद''' और '''गुणमाला''' उनकी अन्य रचनाएँ हैं।
 
*उत्तरकांड रामायण का छंदोबद्ध अनुवाद उन्होंने किया।
 
*विप्रपत्नीप्रसाद, कालिदमनयात्रा, केलिगोपाल, रुक्मिणीहरण नाटक, पारिजात हरण, रामविजय आदि नाटकों का निर्माण शंकरदेव ने किया।
 
*असमिया वैष्णवों के पवित्र ग्रंथ '''भक्तिरत्नाकर''' की रचना इन्होंने [[संस्कृत]] में की। इसमें संप्रदाय के धार्मिक सिद्धांतों का निरूपण हुआ है।
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[[श्रेणी:असमिया कवि]]
[[श्रेणी:हिन्दू सुधारक]]
[[श्रेणी:उत्तम लेख]]
 
[[as:শ্ৰীমন্ত শংকৰদেৱ]]