"शुल्बसूत्र": अवतरणों में अंतर

No edit summary
No edit summary
पंक्ति 1:
'''शुल्ब सूत्र''' या '''शुल्बसूत्र''' [[संस्कृत]] के सूत्रग्रन्थ हैं जो स्रौत कर्मों से सम्बन्धित हैं। इनमें यज्ञ-वेदी की रचना से सम्बन्धित ज्यामितीय ज्ञान दिया हुआ है। संस्कृत कें '''शुल्ब''' शब्द का अर्थ नापने की '''रस्सी या डोरी''' होता है। अपने नाम के अनुसार शुल्ब सूत्रों में यज्ञ-वेदियों को नापना, उनके लिए स्थान का चुनना तथा उनके निर्माण आदि विषयों का विस्तृत वर्णन है। ये भारतीय ज्यामिति के प्राचीनतम ग्रन्थ हैं।
 
 
== शुल्ब सूत्रों का उद्देश्य ==
Line 9 ⟶ 8:
 
# आपस्तम्ब शुल्ब सूत्र
# [[बौधायन का शुल्बसूत्र |बौधायन शुल्ब सूत्र]]
# मानव शुल्ब सूत्र
# कात्यायन शुल्ब सूत्र
Line 15 ⟶ 14:
# वाराह (पाण्डुलिपि रूप में)
# वधुल (पाण्डुलिपि रूप में)
# हिरण्यकेशिन (आपस्तम्ब शुल्ब सूत्र से मिलता-जुलता)
 
== वाह्य सूत्र ==
*[http://rudrasandesh.blogspot.com/2008/09/blog-post_08.html शुल्ब सूत्र (भारत में पाइथेगोरियन त्रिक)]
*[http://hamaragaurav.blogspot.com/2008/12/blog-post_18.html प्राचीन भारतीय गणित की चर्चा बिना शुल्ब सूत्रों के अधूरी रहेगी] (भारतीय गौरव)
 
{{भारतीय गणित}}
 
[[श्रेणी:भारतीय साहित्य]]
Line 25 ⟶ 26:
[[श्रेणी:भारतीय गणित]]
[[श्रेणी:भारत]]
[[श्रेणी:उत्तम लेख]]
 
{{भारतीय गणित}}
 
[[de:Sulbasutra]]