"दीपावली मेला": अवतरणों में अंतर
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दस दिनों तक चलने वाले मेले का दीपावली से दो दिन पूर्व शुभारम्भ हो जाता है। तीन दिनों तक तो सिख-पन्थ से लोगों के द्वारा बड़े-बड़े दीवान आयोजित किये जाते हैं। जिनमें उच्च कोटि के धार्मिक व्याख्यानकर्ता तथा रागी अपने भजन-कीर्तन तथा व्याख्यान देते हैं। इसके बाद आदिवासी [[रानाथारू जनजाति]] के लोगों के साथ-साथ इस क्षेत्र के सभी धर्मों के लोग और दूर-दराज से आने वाले दर्शनार्थियों का ताँता लगा रहता है।
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