"अलेक्ज़ंडर पोप": अवतरणों में अंतर

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{{वार्ता शीर्षक}}[[चित्र:Alexander Pope by Michael Dahl.jpg|300px|right|thumb|अलेक्ज़ंडर पोप, १७२७ में]]
 
[[अंग्रेजी भाषा|आंग्ल]] कवि '''अलेक्जंडर पोप''' (21 मई, 1688 – 30 मई, 1744 ) का जन्म [[लंदन]] में 21 मई, 1688 को हुआ। उनके पिता धनी वस्त्रविक्रेता थे जो रोमन कैथेलिक पंथी बन गए थे। पढ़ने के लिये अत्यधिक परिश्रम करने के फलस्वरूप पोप का शरीर रुग्ण तथा कुरूप हो गया था और इस शारीरिक दोष की संवेदना उनको लगातार चिंतित रखती थी। उनकी शिक्षा भी क्रमरहित तथा अपूर्ण थी। इसपर भी 12 वर्ष की अवस्था में उन्होंने 'ओड ऑन सॉलिट्यूड' (एकांतगान) शीर्षक कविता लिखी और 14वें वर्ष में उनकी अद्भुत तथा परिपक्व कविता 'साइलेंस' (मौन) प्रसिद्ध हुई। उनकी प्रकृति विषयक कविताओं में 'पैस्टोरल्स' की, जो 1709 में प्रसिद्ध हुई, तत्कालीन सभी मुख्य मुख्य आलोचकों ने मुक्त कंठ से प्रशंसाकी है। उनका 'एसे ऑन क्रिटिसिज़म' (आलोचना पर निबंध) 1711 में प्रकाशित हुआ और इसी के कारण वे तत्कालीन लेखकों में प्रथम श्रेणी के लेखक माने जाने लगा। 'विंडसर फॉरेस्ट' नामक लोक प्रसिद्ध कविता (1713) अनेक प्रशंसनीय, यथार्थ तथा सुंदर वर्णनों से परिपूर्ण है। इसी के बाद (1714) उनका हास्यरसात्मक महाकाव्य 'रेप ऑव दि लॉक' (केशापहरण) प्रसिद्ध हुआ जिससे उनकी अद्भुत कल्पनाशक्ति तथा कोमल भावविकास की ख्याति स्थिरतर हो गई1 1713 से 1720 तक उन्होंने होमर के 'ईलिअड' का अंग्रेजी अनुवाद प्रसिद्ध किया। यद्यपि यह अनुवाद मूल महाकाव्य का पूर्ण रूप से प्रतिनिधित्व नहीं कर सकता तथापि ओज तथा रचनामाधुर्य से वह परिपूर्ण है। पोप ने साहित्यकारों में सर्वश्रेष्ठ पद प्राप्त कर लिया परंतु ईर्षामूलक राजनीतिक मतभेदों के कारण एडिसन तथा उनके अनुयायियों के वे विरोधी बन गए। 1717 में उनक 'एलोइसा टू अबेलाई' तथा 'ऐनएलेजी टु दि मेमरी ऑव एकन अनफार्च्यूनेट लेडी' (एक दुर्दैवपीड़ित अबला का शोकगीत) ये दोनों भावपूर्ण कविताएँ प्रसिद्ध हुईं। इन दो कविताओं के साथ ही उनकी 'ओड ऑन सेंट सेलिसियाज1 डे' नामक खंडकाव्य प्रसिद्ध हुआ। खंडकाव्य लिखने का पोप का यह मुख्य प्रयत्न था और इसके अध्ययन से यह स्पष्ट हो गया कि इस प्रकार के काव्य के लिये जिन भावों की तथा छंदों की आवश्यकता होती है वे सब उनकी शक्ति के बाहर थे।