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{{वार्ता शीर्षक}}[[लल्लू लाल]] की यह कृति [[खड़ी बोली]] गद्य की आरंभिक कृतियों में से एक है। [[रामचन्द्र शुक्ल|शुक्ल जी]] इसकी भाषा को पूर्वीपन से युक्त मानते हैं।
 
==बाहरी कड़ियाँ==